शब्द शिल्पी आईएएस डॉ दिनेश चंद्र सिंह, जिलाधिकारी, जौनपुर की नई पुस्तक विचार कुंभ, कर्म कुंभ, महाकुंभ 2025 का आमुख तैयार, प्रतिक्रिया आमंत्रित
आमुख/कर्म-कुंभ/विचार-कुंभ/महा-कुंभ 2025
प्रस्तुत पुस्तक आपके हाथों में समर्पित है। यह विचार पुष्प की भांति है। यह व्यवहार पुष्पमाला सरीखा है, जिससे मानवता व सज्जनता का शृंगार होगा। धर्म हमें जीवन यात्रा हेतु दिव्य दृष्टि और धैर्य प्रदान करता है। इसका साक्षात दर्शन दिव्य व भव्य महाकुंभ 2025 के सफल आयोजन में पूरी दुनिया ने देखा। एक संत शासक के अनुशासन से जीवन कितना संवर व निखर सकता है, इसकी अनुभूति मेरे साथ ही उन तमाम लोगों को भी हुई होगी, जो यहां समीचीन विषय-वस्तु है।
अष्टावक्र गीता में कहा गया है कि- "आयासात सकलो दुःखी नैनं जानाति कश्चन। अनेनैवोपदेशेन धन्यः प्राप्नोति निर्वृतिम्।।" (उद्धरण-सूत्र-3, अष्टावक्र गीता-पृष्ठ-220). अर्थात "निज प्रयास से सबलोग दुःखी हैं। इसको कोई नहीं जानता है। इसी उपदेश से भाग्यवान लोग निर्वाण को प्राप्त होते हैं।" देखा जाए तो धन, यश, पद, प्रतिष्ठा, ज्ञान, विद्वता, ऐश्वर्य, समृद्धि आदि सबकुछ प्रयास से ही मिलता है, लेकिन ये सब तो सांसारिक वस्तुएं या भाव हैं। तभी तो तमाम वैज्ञानिक उपलब्धियों से कृषि, यातायात, संचार साधन, वाणिज्य-व्यापार एवं शास्त्र-शस्त्र की विविध विधाओं का विकास व विस्तार हुआ। लेकिन विज्ञान आधारित इन उपलब्धियों से सृजन की कम व विनाश की महालीला अधिक अनुभूत हुई, जिसकी प्रचंड ध्वनि देश-दुनिया तक विस्तारित है। फिर भी कहा जा सकता है कि मनुष्य के ज्ञान आधारित प्रयास से ही समकालीन यह संसार सुंदर हुआ और उपयोगी बना।
वहीं, मनुष्य द्वारा परमात्मा की खोज का प्रयास भी अद्भुत है, चिरस्मरणीय है। अपने प्रयास से वह कैसा बैकुंठ लोक चाहता है, जगजाहिर है। जप, तप, योग, साधना, हठयोग, मंत्र भक्ति, स्मरण, पूजन आदि तो महज साधन हैं, जबकि साध्य तो सदियों से परमपिता परमात्मा की खोज ही रही है, परन्तु बहुत कम लोगों को यह सार-सत्य पता है कि परमात्मा की प्राप्ति समर्पण से होती है, किसी भी लौकिक प्रयास से नहीं। महाकुंभ का विशाल आयोजन भी इसी मौलिक तथ्य का शाश्वत संदेश दे गया।
कर्मभूमि पर हुए विराट प्रदर्शन के दृष्टिगत दिव्य व भव्य महाकुंभ 2025 के अनुकरणीय व अनुभूतिजन्य विषय के सफल आयोजन का श्रेय तो भारत वर्ष के माननीय प्रधानमंत्री श्रीयुत नरेंद्र मोदी जी और उत्तरप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्रीयुत योगी आदित्यनाथ जी को निश्चित रूप से ही जाता है। परंतु इसके सफल आयोजन में प्रबंधकीय व्यवस्था में जुटे दर्जनाधिक उच्चाधिकारियों व उनकी जम्बोजेट टीम की प्रशंसा के साथ ही महाकुंभ 2025 की मौलिक सफलता का श्रेय (प्रयास का श्रेय नहीं!) करोड़ों-अरबों अनन्त असंख्य श्रद्धालुओं के सद्भावी प्रयास को भी जाता है।
उनके ही सद्प्रयासों से विमुक्त प्रभु भोलेनाथ व विष्णु भगवान की कृपा, और माँ गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती की पवित्र त्रिवेणी स्थित संगम की महिमा को प्राप्त करने की इस सार्थक यात्रा में केवल श्रद्धालुओं का प्रयास पूर्वक धीरज, तीर्थराज प्रयाग की पवित्र नगरी में 144 वर्ष पश्चात ऐसे अद्भुत मुहूर्त में आयोजित महाकुंभ 2025 के सफल आयोजन की अनुभूति को मात्र प्रयास के आधार पर अभिव्यक्त करने का प्रयास नहीं है, अपितु इससे भी आगे सचेतन मनोभावों में बहुत कुछ है।
इन्हीं लोक सरोकारों व सनातनी विचारों को एक सार्थक आयाम देने के निमित्त नवप्रकाशित पुस्तक "विचार-कुंभ"/ "कर्म-कुम्भ"/"महाकुंभ 2025" में अभिव्यक्त हमारे लेख व हमारे सहयोगियों के विचार आपको एवं आपके मन, मस्तिष्क व हृदय की उन संवेदनाओं को अवश्य झकझोरा करेंगे, जिसकी प्रक्रिया में ही महान पुरातन सनातन सभ्यता व संस्कृति का अभ्युदय व विकास हुआ है। देश-काल-पात्र के प्रभाववश निरंतर आगे बढ़ने, गिरने, उठने, संभलने व पुनः फर्राटे भरने की इस निर्बाध प्रक्रिया में आप निश्चित ही इस बात का एहसास करेंगे कि महाकुंभ 2025 की सफलता में माननीय योगी जी द्वारा किए गए कार्य महज किसी प्रयास की उपलब्धि नहीं है, अपितु प्रभु की प्राप्ति और अनुकम्पा की प्राप्ति के लिए समर्पण भाव से किए गए कार्य की प्रतिध्वनि है, जो इसी शती के महाकुंभ 2025 के आयोजन की सफलता का राज है।
सच कहूं तो यह इस विश्वव्यापी सफलता का राज नहीं है अपितु असंख्य, अनंत, कोटि-कोटि श्रद्धालुओं के समर्पण भाव से भी अक्षयवट की धरा धन्य हो चुकी है। क्योंकि मां गंगा के आशीर्वाद की फल प्राप्ति का मार्ग सबको मिला। कहना न होगा कि मेरी यह पुस्तक नितांत मौलिक है, जो यहां की प्रशासनिक कार्यवश हुई यात्रा व आध्यात्मिक प्रेरणा वश हुए चिंतन के व्यक्तिगत अनुभव व समष्टिगत प्रेरणा से मिली अंतस ऊर्जा से निःसृत मनोभावों का द्योतक है। यह पूरे परिप्रेक्ष्य को एक नए व व्यापक नजरिए से देखने व आपको अवगत कराने के पुण्य भाव से अभिप्रेरित है।
इस पुस्तक में निश्चित रूप से इस सदी के लोक पुरूष माननीय श्रीयुत नरेंद्र मोदी जी के संरक्षण में तपस्वी, यशस्वी महंत एवं लोकतंत्र के समृद्ध राजनीतिज्ञ व उत्तरप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के समर्पित कार्यों की प्रशंसा के साथ लेखक की मौलिक एवं प्रभु के प्रति समर्पण भाव के साथ कार्य करने की बानगी भी अंर्तनिहित है। इस पुस्तक में संकलित एक-एक लेख एक प्रकार नवदृष्टि को पुनर्स्थापित करते हैं एवं इसके पुण्य भावों से प्रत्येक व्यक्ति को जोड़ते हैं। इसमें आपको मिलेगी- भूत, वर्तमान और भविष्य की अनुगूंज, जो सनातन धर्म के विश्वव्यापी विकास के लिए जरूरी है। इस पुस्तक में शेष रह गई किसी भी त्रुटि एवं अपने भाव में किसी के प्रति प्रदर्शित हुई अतिरेक पूर्वक प्रेम भाव के लिए मैं हृदय से क्षमा प्रार्थी हूँ।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि इस पुस्तक में संकलित व संपादित प्रत्येक लेख को पढ़ने पर आपको निरंतर नई ऊर्जा मिलेगी।साथ ही सनातन धर्म के प्रति अगाध आस्थावान बनने के लिए भी यह पुस्तक आपको अवश्य ही प्रेरित करेगी। इसके विभिन्न अध्याय आपको पुनः सोचने-समझने, नई समदृष्टि देने एवं विश्व कल्याण के निमित्त आत्मीयता पूर्ण ढंग से मनन-चिंतन को अभिप्रेरित करते हुए आपको सनातन धर्म के प्रति पुनः आस्थावान बनाएंगे।
पुस्तक में सम्मिलित समस्त आलेख, दिव्य व भव्य महाकुंभ 2025 के दौरान जनपद जौनपुर में लेखक की तैनाती के क्रम में किये गए विभिन्न प्रयासों व हासिल किए गए नानाविध अनुभवों की अनुभूति और प्रयागराज में स्वयं देखी गई बानगी के नितांत व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है। इन लेखों में आपको सरकार के कतिपय महत्वपूर्ण प्रयासों के साथ-साथ जनसमुदायों के धर्म के प्रति आस्था, उनके प्रयास और उनकी विभिन्न कठिनाइयों को हंसते खेलते झेलते हुए बताए गए महत्वपूर्ण अनुभवों को शब्द बद्ध किया गया है। महाकुंभ के दिव्य पवित्र संगम के जल में उनके द्वारा डुबकी लगाकर विस्मृत हुए सभी दुःख व संताप की एक गहन अनुभूति भी आपको समस्त लेखों में मिलेगी। कुछ अन्य विषयगत विविधताओं को भी इसमें समाविष्ट किया गया है, ताकि पुस्तक रोचक, ज्ञान व जिज्ञासा बर्द्धक हो सके।
यह समस्त लेख दिव्य-भव्य महाकुंभ के दौरान ही लिखे गए हैं और ये समस्त लेख किसी न किसी प्रतिष्ठित पत्रिका, समाचारपत्रों व हिंदी की प्रतिष्ठित न्यूज़ एंड व्यूज वेबसाइट्स पर पूर्व से ही प्रकाशित हैं। मसलन लेखक ने इन समस्त अनुभवों को निचोड़ के रूप में, जिससे संस्थागत स्मृति कोश यानी इंस्टीट्यूशनल मेमोरी के रूप में ये अभिलेख सुरक्षित रह सकें, के दृष्टिगत ही इसको संकलित करके एक पुस्तक के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
निश्चित रूप से सरकार ने अपने समस्त संसाधनों, प्रयास व
मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में व प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से
अनुकरणीय प्रबंधकीय व्यवस्था का कौशल महाकुंभ के दौरान जनमानस के सम्मुख रखा है। इसलिए मेरे अनुभव आधारित लेखों में सरकार की उपलब्धियों की एक सुंदर व सार्थक अभिव्यक्ति मिलेगी। साथ ही जनमानस का धर्म के प्रति, सनातन धर्म के प्रति जो सनातन काल से एक आस्था व विश्वास का भाव है, उसको भी देखने को मिलेगा। वहीं, संत समाज की गरिमामयी उपस्थिति से, उनके चित्रण व वर्णन से पुस्तक अत्यंत संवेदनशील व मार्मिक होने के साथ साथ आपको निश्चित रूप से पढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।
इस पुस्तक के प्रत्येक लेख से प्रतियोगी छात्र-छात्राओं को भी एक नई दूरदृष्टि मिलेगी। इससे आस्थावान नागरिकों के दिलोदिमाग में सनातन धर्म-संस्कृति की मर्यादा को पुनः जानने-समझने के लिए एक आवश्यक सृजनात्मक सोच का अभ्युदय होगा, जो समसामयिक संघर्षरत देश-दुनिया को एक सदमार्ग पर आगे बढ़ने को प्रेरित करेगा। यदि ऐसा संभव हो सका तो लेखक का यह भगीरथ प्रयास भी सफल होगा।
यद्यपि किसी भी पुस्तक में कुछ न कुछ त्रुटियां होती हैं, उसे क्षमा करते हुए अपने सुझाव निम्न पते पर भेज सकते हैं। उनका सादर सम्मान किया जाएगा। चूंकि अभी पुस्तक प्रकाशित होने की श्रृंखला में है, इसलिए उन सुझावों को समय पर आने पर सम्मिलित किया जा सकता है। यह पुस्तक संत समाज के आशीर्वाद से प्राप्त ऊर्जा की अनुभूति, जिसने मुझे लिखने की प्रेरणा दी, उनके श्रीचरणों में समर्पित करते हुए इन्हीं शुभकामनाओं के साथ माता, पिता, गुरु, भार्या, पुत्र, पुत्रियों एवं अपने सहयोगी अधिकारियों और कर्मचारियों व जनता के द्वारा दिए गए सहयोग तथा आत्मीयता के भाव को दृष्टिगत रखते हुए भगवान के श्री चरणों में समर्पित करता हूँ। धन्यवाद, जय हिंद, जय भारत, जय सनातन।
@ डॉ दिनेश चंद्र सिंह, आईएएस,
जिलाधिकारी, जौनपुर जनपद,
उत्तरप्रदेश, भारत वर्ष।
मोबाइल: +91 90267 74771
ईमेल: dineshchandra1997@gmail.com
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