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रेयर अर्थ एलिमेंट्स क्या हैं? भारत इसका उत्पादन क्यों बढ़ा रहा है? क्या वह वैश्विक महाशक्ति बन सकता है?

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रेयर अर्थ एलिमेंट्स क्या हैं? भारत इसका उत्पादन क्यों बढ़ा रहा है? क्या इसका उत्पादन बढ़ाए बिना भारत वैश्विक महाशक्ति बन सकता है? @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक कहावत है कि "अग्र सोची, सदा सुखी।" यानी कि वर्तमान में ही भविष्य की सटीक रणनीति बना लेने वाला व्यक्ति ही हमेशा सुखी रहता है। किसी राष्ट्र के ऊपर भी यह बात अक्षरशः लागू होती है। ऐसे में यदि भारत को वैश्विक महाशक्ति बनना है तो उसे रेयर अर्थ एलिमेंट्स के उत्पादन, संवर्द्धन व विपणन पर ध्यान देना होगा। वहीं, जबतक ऐसा नहीं हो जाता, उसे इसके आपूर्तिकर्ता देशों यानी चीन, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे महत्वपूर्ण देशों के साथ मधुर कारोबारी सम्बन्ध बनाये रखना होगा। इसलिए देशवासियों के जेहन में यह सवाल उठ रहा है कि रेयर अर्थ एलिमेंट्स क्या हैं? भारत इसका उत्पादन क्यों बढ़ा रहा है? और क्या इसका उत्पादन बढ़ाए बिना भारत वैश्विक महाशक्ति बन सकता है? जानकारों का कहना है कि भारत अब दुनिया की चौथी आर्थिक महाशक्ति बन चुका है और शीघ्र ही वह जर्मनी को पछाड़कर तीसरी आर्थिक महाशक्ति भी बन जायेगा। जिस तरह से अब वह...

शब्द शिल्पी आईएएस डॉ दिनेश चंद्र सिंह, जिलाधिकारी, जौनपुर की नई पुस्तक विचार कुंभ, कर्म कुंभ, महाकुंभ 2025 का आमुख तैयार, प्रतिक्रिया आमंत्रित

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आमुख/कर्म-कुंभ/विचार-कुंभ/महा-कुंभ 2025 प्रस्तुत पुस्तक आपके हाथों में समर्पित है। यह विचार पुष्प की भांति है। यह व्यवहार पुष्पमाला सरीखा है, जिससे मानवता व सज्जनता का शृंगार होगा। धर्म हमें जीवन यात्रा हेतु दिव्य दृष्टि और धैर्य प्रदान करता है। इसका साक्षात दर्शन दिव्य व भव्य महाकुंभ 2025 के सफल आयोजन में पूरी दुनिया ने देखा। एक संत शासक के अनुशासन से जीवन कितना संवर व निखर सकता है, इसकी अनुभूति मेरे साथ ही उन तमाम लोगों को भी हुई होगी, जो यहां समीचीन विषय-वस्तु है। अष्टावक्र गीता में कहा गया है कि- "आयासात सकलो दुःखी नैनं जानाति कश्चन। अनेनैवोपदेशेन धन्यः प्राप्नोति निर्वृतिम्।।" (उद्धरण-सूत्र-3, अष्टावक्र गीता-पृष्ठ-220). अर्थात "निज प्रयास से सबलोग दुःखी हैं। इसको कोई नहीं जानता है। इसी उपदेश से भाग्यवान लोग निर्वाण को प्राप्त होते हैं।" देखा जाए तो धन, यश, पद, प्रतिष्ठा, ज्ञान, विद्वता, ऐश्वर्य, समृद्धि आदि सबकुछ प्रयास से ही मिलता है, लेकिन ये सब तो सांसारिक वस्तुएं या भाव हैं। तभी तो तमाम वैज्ञानिक उपलब्धियों से कृषि, यातायात, संचार साधन, वाणिज्य-...

जिलाधिकारी, जौनपुर डॉ दिनेश चंद्र सिंह ने विभिन्न गौशालाओं का परिभ्रमण किया, गौवंशों की सेवा की

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जिलाधिकारी, जौनपुर डॉ दिनेश चंद्र सिंह ने विभिन्न गौशालाओं का परिभ्रमण किया, गौवंशों की सेवा की @ कमलेश पांडेय, ब्लॉगर, राजनैतिक दुनिया ब्लॉग कहावत है कि '"जहां चाह, वहां राह।" यही नहीं, "यथा राजा, तथा प्रजा।" अबतक आपने प्रधानमंत्री श्रीयुत नरेंद्र मोदी जी के नन्दी प्रेम और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीयुत योगी आदित्यनाथ जी के गौवंश प्रेम के बारे में पढ़ा, सुना या देखा होगा। उनसे प्रेरणा लेते हुए जनपद जौनपुर के जिलाधिकारी डॉ दिनेश चंद्र सिंह ने 8 जून 2025 दिन रविवार को अपने आवास पर स्थित गौशाला सहित जनपद के निराश्रित गौवंशों की सेवा हेतु बनाये गए विभिन्न गौशालाओं, खासकर धर्मापुर गौशाला का परिभ्रमण किया और उन्हें प्रदत्त राजकीय सुविधाओं का जायजा लिया। इसी क्रम में डॉ सिंह ने अपने शासकीय आवास पर स्थित गौशाला में एक नायाब उदाहरण पेश करते हुए खुद ही हरा चारा की कटाई की और उसे अपनी गाय, बछड़े व नन्दी बाबा को परोसा। इस दौरान पसीने से लथपथ हुए जिलाधिकारी डॉ सिंह ने एक सवाल के जवाब में "राजनैतिक दुनिया" के ब्लॉगर को बताया कि "आज का...

स्वामिभक्ति और वफादारी के रोल मॉडल होते हैं श्वान, मानवों को दिलाते हैं असुरक्षा से त्राण

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स्वामिभक्ति और वफादारी के रोल मॉडल होते हैं श्वान, मानवों को दिलाते हैं असुरक्षा से त्राण @ डॉ दिनेश चंद्र सिंह, आईएएस, जिलाधिकारी, जौनपुर, उत्तरप्रदेश मनुष्य और श्वान यानी कुत्ते के बीच भरोसे का सम्बन्ध आदिकाल से चलता आ रहा है। मानवीय सुरक्षा को मजबूत करने में भी इसके सहयोग से इंकार नहीं किया जा सकता है। पशु विज्ञानी बताते हैं कि स्वामिभक्ति और वफादारी के रोल मॉडल होते हैं श्वान, जो मानवों को दिलाते हैं असुरक्षा से त्राण। यही वजह है कि मैं कौन हूँ, क्यों कहा रहा हूँ, और कुत्ते के बहुआयामी चरित्र के बारे में क्यों लिख रहा हूँ, इस विषय पर यहां चर्चा करना औचित्यपूर्ण है, क्योंकि मां-पिता और गुरु के आशीर्वाद पर बहुत कुछ लिखा हूँ, माता-पिता के प्रेम पर गहराई वाली बात लिखा हूँ।                            (सौभाग्यशाली शेरू) इस बात में कोई दो राय नहीं कि माता-पिता और गुरु के बारे में जितना भी लिखा जाए, जितना भी कहा जाए, वह बेहद कम है और उनकी तुलना या उनके आशीर्वाद की तुलना, उनके उपकार की तुलना किसी अन...

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंफ व एलन मस्क के बीच बढ़ती दूरियों के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मायने को ऐसे समझिए!

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंफ व एलन मस्क के बीच बढ़ती दूरियों के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मायने को ऐसे समझिए! @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' के स्वप्नद्रष्टा और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंफ और स्पेसएक्स और टेस्ला प्रमुख अमेरिकी टेक अरबपति एलन मस्क के बीच उपजा मनमुटाव देश-दुनिया के पूंजीवादी लोकतांत्रिक सियासत और प्रशासन के लिए शोध का विषय है। क्योंकि इसका असर न केवल अमेरिका के लोगों बल्कि पूरी दुनिया के मनोमस्तिष्क पर पड़ना लाजिमी है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंफ व एलन मस्क के बीच बढ़ती दूरियों के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मायने आईने की तरह साफ हैं! जिसे समझने की जरूरत है, क्योंकि ट्रंफ दुनिया के थानेदार समझे जाते हैं। हालांकि, इनके बीच की दरकती हुई दोस्ती से वह भारतीय कहावत पुनः चरितार्थ हुई है जिसमें अक्सर नेताओं संग दोस्ती की तुलना वैश्या संग प्रेम से की जाती है, यानी कि क्षणभंगुर समझा जाता है। समझा जाता है कि वेश्यागामी की संपत्ति लूट जाने के बाद या वेश्याओं के जीवन में किसी अन्य धनाढ्य व्यक्ति के प्रवेश पा लेने के पश्चात उसका ...

क्या वैचारिक रूप से सुलगती दुनिया के दो देशों के बीच कोई परमाणु युद्ध होने वाला है? फिर क्या होगा?

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क्या वैचारिक रूप से सुलगती दुनिया के दो देशों के बीच कोई परमाणु युद्ध होने वाला है? फिर क्या होगा? @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक एक ओर कश्मीर की समस्या का समुचित समाधान नहीं मिलने से आमने-सामने हुए भारत-पाकिस्तान के बीच अमेरिकी हस्तक्षेप से परमाणु युद्ध का खतरा टला, तो दूसरी ओर फिलिस्तीन त्रासदी झेल रहे इजरायल-ईरान के बीच परमाणु युद्ध की संभावनाओं की अटकलें लगाई जा रही हैं। वहीं नाटो के विस्तार पर लगाम लगाने के लिए शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध में भी परमाणु हथियारों के अनुप्रयोग का खतरा अभी टला नहीं है। इस प्रकार हर जगह पर दुनिया का थानेदार अमेरिका की कोशिश है कि सामरिक युद्ध हो, उसकी कम्पनियों के हथियार खपें, लेकिन परमाणु युद्ध की नौबत नहीं आए, अन्यथा पूरी दुनिया में जनजीवन संकटग्रस्त हो जाएगा। यही वजह है कि अमेरिकी खुफिया जानकारी के अनुसार बताया गया है कि इजरायल, इस्लामिक षड्यंत्रकर्ता राष्ट्र ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की तैयारी कर रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव पुनः बढ़ गया है। चूंकि  यह जानकारी अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन ने गत 20 मई 2025 ...

क्या भारत के पास शक्तिशाली बनने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है? तो फिर क्यों और कैसे?

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क्या भारत के पास शक्तिशाली बनने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है? तो फिर क्यों और कैसे? @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक  जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भारतीय हिंदू समाज की एकता का आह्वान करते हुए यह कहा है कि भारत को इतनी सैन्य और आर्थिक शक्ति से संपन्न बनाया जाए कि दुनिया की कई शक्तियां मिलकर भी उसे जीत न सकें, तो पहला सवाल यही उठता है कि क्या भारत के पास पावरफुल बनने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है? क्या भारत, रूस-अमेरिका-चीन के प्रेम और युद्ध त्रिकोण में अपनी अव्यवहारिक नीतियों-सामरिक रणनीतियों की वजह से बुरी तरह से घिर चुका है, जो उसके पाकिस्तान-बंगलादेश सरीखे जलनशील पड़ोसियों को उकसाते रहते हैं?  ऐसा इसलिए कि चीन-पाकिस्तान-बंगलादेश की शह पर कभी श्रीलंका, कभी मालदीव, कभी म्यामांर, कभी नेपाल, कभी अफगानिस्तान, कभी भूटान आदि पड़ोसी देश भी भारत विरोधी एजेंडे के तहत कार्य करते हुए देखे सुने जाते हैं। कभी लोकतंत्र की आड़ में अमेरिका अंडरवर्ल्ड को, माओवादी वामपंथ के नाम पर चीन नक्सलियों को और गजवा-ए-हिन्द के नाम पर पाकिस्...