किसान-मजदूर-महिला विरोधी है यूपी बजट, नौजवानों के लिए भी इसमें कुछ नहीं: नरेंद्र भारद्वाज/डॉली शर्मा

किसान-मजदूर-महिला विरोधी है यूपी बजट, नौजवानों के लिए भी इसमें कुछ नहीं

# वरिष्ठ कांग्रेस नेता नरेंद्र भारद्वाज और कांग्रेस प्रवक्ता डॉली शर्मा ने यूपी बजट को आमलोगों को हतोत्साहित करने वाला, निराशा पैदा करने का कारक और दिशाहीन बताया
कमलेश पांडेय/राजनैतिक दुनिया
गाजियाबाद। योगी सरकार द्वारा उत्तरप्रदेश विधानसभा में बुद्धवार को पेश किए गए बजट को गाजियाबाद महानगर कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता नरेंद्र भारद्वाज और कांग्रेस प्रवक्ता डॉली शर्मा ने किसान-मजदूर-नौजवान विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि इसमें प्रदेश की आधी आबादी समझी जाने वाली महिलाओं के लिए भी कुछ खास नहीं है, जिनसे उनमें हताशा घर कर गई है। नेता द्वय ने दूरभाष पर बताया कि यह बजट दिशाहीन है, जिससे लोगों में निराशा पैदा हुई है। इससे आमलोग भी हतोत्साहित हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि योगी सरकार ने इस यूपी बजट के द्वारा भी लोकसभा चुनाव 2024 में अपने निहित स्वार्थ को साधने के मद्देनजर सिर्फ़ वादों का पिटारा लोगों को थमाया है, लेकिन अब जनता इन्हें समझ चुकी है तथा अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अच्छी सबक सिखाएगी।

जहां वरिष्ठ कांग्रेस नेता व गाजियाबाद महानगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र भारद्वाज ने राज्‍य की भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा आज पेश किये गये सूबाई बजट को देखते हुए कहा कि इस बजट को देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि योगी सरकार प्रदेश को 1000 अरब डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था वाला बना पायेगी। क्योंकि मौजूदा सरकार का यह सातवां बजट है। सवाल है कि जिस सरकार को लगातार छह साल काम करने का मौका मिला हो उसका सातवां बजट इस कदर दिशाहीन नजर आएगा, यह सपने में भी सोचा नहीं जा सकता है, लेकिन यह वह हकीकत है जिसे भोगने को प्रदेश की जनता अभिशप्त है। क्योंकि इस बजट के प्रावधानों में ना तो आज की समस्याओं का समाधान निहित है और ना ही भविष्य की किसी भी फैसले को आगे ले जाने का कोई रास्ता दिखायी देता है।

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता डॉली शर्मा ने कहा कि 'जिस उत्तरप्रदेश प्रदेश में सबसे ज्यादा आबादी गांव में रहती हो, जो खेती-किसानी पर निर्भर करती हो, वहां के राज्य सरकार ने अपने बजट के विभिन्न प्रावधानों से किसानों-मजदूरों-कारीगरों को निराश किया है। उन्होंने बताया कि जहां प्रदेश के नौजवान यह उम्मीद लगाकर बैठे थे कि नए बजट से रोजगार के कुछ रास्ते खुलेंगे, लेकिन इस बजट ने उन्‍हें निराश व हताश किया है। इस बजट ने महिलाओं को भी निराश व हताश किया है। सभी दिशाहीन हो चुके हैं। उनका किंकर्तव्यविमूढ़ होना इस सरकार पर भारी पड़ेगा।

कांग्रेस नेताओं भारद्वाज एवं शर्मा ने सवाल किया कि भले ही भाजपा प्रदेश को एक ट्रिलियन यानी कि 100 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना दिखाती है। लेकिन मैं आपसे यह कहना चाहते हैं कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्‍ना प्रदेश के लोगों को कम से कम यह तो बताएं कि एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के लिये उत्तर प्रदेश की विकास दर क्या होनी चाहिए और यदि इतना भी नहीं बता सकते तो झूठ की अपनी डफली, अपना राग बजाना छोड़ दें, क्योंकि इससे जनता भ्रमित हो रही है। 

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि प्रदेश की कृषि विकास दर ही कम है। वहीं, केंद्र सरकार ने भी अपने बजट में किसानों पर कोई ध्यान नहीं दिया है। अब भाजपा की उत्तर प्रदेश की सरकार भी उसी रास्ते पर चल रही है। इससे क्या किसानों को उनकी उपज का दाम मिल पाएगा, क्योंकि किसान की जितनी भी जरूरत की चीजें हैं सब महंगी हो गई हैं। उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा के लोगों ने कहा था कि वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी, लेकिन क्या ऐसा हुआ? यदि ऐसा नहीं हुआ तो इसकी जवाबदेही किसकी है। मैं साफ कहूंगा कि इसके लिए मोदी-योगी दोनों जिम्मेदार हैं।

नेताद्वय भारद्वाज एवं शर्मा ने सवाल उठाया कि क्या इस अवास्तविक बजट से यूपी की जनता का हित सधेगा, क्या उनका समग्र कल्याण होगा, क्या भारत का ‘ग्रोथ इंजन’ बनने का उनका दावा पूरा होगा? उन्होंने कहा कि कर्ज में आकंठ डूबे उत्तर प्रदेश को भ्रमकारी बजट नहीं, बल्कि ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने वाला बजट होना चाहिए। 

उन्होंने साफ साफ कहा कि भाजपा की कथनी और करनी में भारी अंतर है। एक ओर उनकी गलत नीतियों से जनता महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, पिछड़ेपन एवं अराजकता आदि से त्रस्त है, परेशान है, लेकिन सरकार ने बदहाली को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया है। भाजपा की डबल इंजन सरकार में प्रति व्यक्ति आय व विकास की जमीनी हकीकत झूठ प्रचार और जुमलेबाजी पर निर्भर है। सच कहूं तो बजट ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। नए बजट प्रावधानों में भी कर्ज के बढ़ते बोझ से स्पष्ट है कि सरकार, दावों एवं प्रचारों के विपरीत, हर मोर्चे पर लगभग विफल साबित हो रही है। 

उन्‍होंने सरकार द्वारा आयोजित ‘इन्‍वेस्‍टर्स समिट’ पर भी निशाना साधते हुए कहा कि योगी सरकार लोगों को निवेश का सपना दिखा रही है। जबकि हकीकत यह है कि इस सरकार को सिर्फ मेला लगाना आता है। सरकार ने मेला लगा लिया, अपने खास खास लोगों को बुला लिया, उन्हें उपकृत कर दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार ने इन्वेस्टर्स समिट के बहाने ही बड़े बड़े उद्योगपतियों से तो मिल लिए, लेकिन छोटे-छोटे व्यापारियों का क्या होगा, उनके बारे में कौन सोचेगा?  उन्होंने कहा कि सरकार यह बताए कि उसने प्रदेश में निवेश लाने के लिये बजट में कौन सी राहत की घोषणा की है?

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की भाजपा सरकार ने बुधवार को वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिये विधानसभा में छह लाख 90 हजार 242 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। जबकि इसी सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए छह लाख 15 हजार 518 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। यह पिछले वर्ष के मुकाबले मात्र 75 हजार करोड़ ज्यादा है, जो बढ़ती महंगाई के मुकाबले कुछ नहीं है।

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