संस्मरण श्रद्धांजलि: नाती की स्मृतियों में नाना की सुमधुर यादें

संस्मरण श्रद्धांजलि: नाती की स्मृतियों में नाना की सुमधुर यादें

# वसुंधरा सेक्टर 18 एपेक्स द फ्लोरेस निवासी अक्षय भारद्वाज, जो डबलिन, आयरलैंड, यूरोप में सेवारत हैं, अपने नाना स्व. सीताराम कौशिक, कोंडली, दिल्ली को ऐसे याद किये

दिल्ली/गाजियाबाद। वरिष्ठ कांग्रेस नेता नरेंद्र भारद्वाज के छोटे भाईं मनोज भारद्वाज के पुत्र और वसुंधरा सेक्टर 19 एपेक्स द फ्लोरस निवासी अक्षय भारद्वाज, जो डबलिन, आयरलैंड, यूरोप में एक बैंक में बतौर प्रबंधक सेवारत हैं, ने हाल ही में गुजरे अपने नाना स्व. सीताराम कौशिक, निवासी कोंडली, दिल्ली को ऐसे याद किये हैं, जो यह जताने को काफी है कि कालजयी "पुत्री के नाम पिता का पत्र" की भांति "नाती की स्मृतियों में नाना की सुमधुर यादें" नामक एक जीवंत स्मृति दस्तावेज बन चुकी है। 

अपने दिलअजीज अभिभावक और चहेते नाना जी के आकस्मिक निधन से भाव विह्वल होकर यूरोप से इंडिया भेजे गए अपने एक व्हाट्सएप्प सन्देश में उन्होंने लिखा है कि "नाना जी, हर बार जब मैं आपके बारे में सोचता हूं, तो मुझे वे सभी बचपन से लेकर यौवन काल की शरारतें याद आती हैं जो हमने आपके साथ मतलब एक साथ की थीं। कैसे आपने हमेशा पापा और मम्मी को जाने बिना मुझे पैसे देने की कोशिश की, जिससे मुझे काफी खुशी होती थी।

दरअसल, तब मैं सचमुच एक बच्चा था, लेकिन अब मैं हमेशा उन सभी कहानियों को अपने दिलों में संजो कर रखूंगा, जो आप सभी ने मुझे बताई हैं कि कैसे आप मुझे नानी के घर लाने के लिए इस्तेमाल करते थे। जैसे ही मैं अपने आप खड़ा हो सकता था। मैं कल्पना कर सकता हूं कि जब आप स्कूटर चलाते थे तो मुझे आपके पैरों के बीच खड़ा होना कितना अच्छा लगता रहा होगा। 

मैं यह हमेशा याद करूंगा कि जैसे ही मैंने आपके पैर छुए, आपने हमेशा मुझे कैसे दिलोजान से गले लगाया। मैं आपको हमेशा याद करूंगा कि आप मुझे हमेशा किसी भी पारिवारिक कार्यक्रम में कैसे पाते तो फूले नहीं समाते थे। अब आप अनन्त लोक की यात्रा पर हैं, पर मुझे यह सब बरबस और हमेशा याद आएगा कि जब भी मैं आपके घर आया तो आपने मुझे कैसे कैसे रंग-बिरंगे गुब्बारे खरीदे।

 मुझे अनवरत आपकी याद आएगी कि कैसे आपने कभी नानी को अपने पोते-पोतियों, नाती-नतनियोंको डांटने तक नहीं दिया। जब से मैंने पेशेवर  कार्यवश भारत छोड़ा है, तब से मुझ पर जाँच करने के लिए आपने मेरे साथ की गई 20-सेकंड की कॉलों को हमेशा याद किया। मुझे याद होगा कि आपने दुनिया में कहीं भी कुछ भी गलत होने पर हर बार मुझ पर कैसे जाँच की, यह देखने के लिए कि क्या इसने मुझे डबलिन में याद किया है।  इससे मैं आपसे काफी प्रभावित रहता। 

यह मुझे हमेशा अपने आप पर गर्व का अनुभव कराता है कि आपने अपने सभी दोस्तों और रिश्तेदारों को दिए गए छोटे-छोटे उपहारों पर कैसे गर्व किया। इसने मुझे हमेशा धन्य महसूस कराया कि आपको मुझ पर गर्व है। मुझे पता है कि अब आप जहां भी होंगे, आप खुश रहेंगे और वहां से ही हमारी देखभाल कर करेंगे। आप मेरे आखिरी दादा-दादी थे और मैं आपको हमेशा याद करूंगा, नाना जी। आपका नाती, अक्षय भारद्वाज, डबलिन, आयरलैंड, यूरोप।

फ़ाइल फोटो:- वसुंधरा सेक्टर 18 एपेक्स द फ्लोरेस निवासी अक्षय भारद्वाज, बैंक मैनेजर, डबलिन, आयरलैंड, यूरोप, अपने नाना स्व. सीताराम कौशिक, निवासी कोंडली, दिल्ली के साथ एक मौके पर।

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