अपने सुख को विस्तृत कर लो, सबको सुखी बनाओ!

अपने सुख को विस्तृत कर लो, सबको सुखी बनाओ!

           @ डॉ दिनेश चन्द्र सिंह, आईएएस

"अपने में सब कुछ भर कैसे व्यक्ति विकास करेगा, यह एकांत स्वार्थ भीषण है अपना नाश करेगा।..…औरों को हंसते देखो मनु, हंसो और सुख पाओ, अपने सुख को विस्तृत कर लो सबको सुखी बनाओ!" महाकवि जयशंकर प्रसाद की कालजयी कृति 'कामायनी' की उपर्युक्त कुछ पक्तियों का स्मरण मुझे बरबस हो आता है, क्योंकि प्रशासनिक जीवन के सार सत्य को ये उद्घाटित करती प्रतीत होती हैं। इसलिए हमें अपने सुख को विस्तृत करके, सबको सुखी बनाने हेतु अथक प्रयत्न करना चाहिए।
ऐसा इसलिए कि "यह एकांत स्वार्थ भीषण है अपना नाश करेगा"- जैसी पंक्तियां सदैव यह एहसास दिलाती हैं कि व्यक्ति के स्वार्थ केंद्रित व्यवस्था से कभी भी सम्पूर्ण समाज का विकास नहीं हो सकता है। इसलिए हमें व्यष्टि से समष्टि की ओर, वसुधैव कुटुम्बकम के भाव से बढ़ना चाहिए। हमारे राष्ट्र निर्माता स्वतंत्रता सेनानियों ने भी यही तो किया था और अब हम भी ऐसा करते हुए अपनी भावी पीढ़ी को भी वैसा ही करते रहने के लिए अभिप्रेरित कर सकते हैं।

कहना न होगा कि दुनिया के सबसे बड़े और सर्वाधिक सफल लोकतंत्र के सम्यक संचालन में मा. भारत निर्वाचन आयोग की जो स्वतंत्र और निष्पक्ष भूमिका है, उसके पीछे जिम्मेदारी भरी भावनाओं से कार्य करने वाले भारतीय अधिकारियों व कर्मचारियों की सदाशयता और कर्तव्यपरायणता का बहुत बड़ा योगदान है। इसलिए अपने ऐसे कीमती रत्नों को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर प्रोत्साहित करते हुए पुरस्कृत भी किया जाता है।
निःसंदेह भारतीय लोकतंत्र दुनिया का सबसे शक्तिशाली एवं जीवन्त लोकतंत्र है। भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली के अन्तर्गत राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव से लेकर संसदीय आम चुनाव और विधानसभा चुनावों एवं सभी उपचुनावों को शांति एवं निष्पक्षता पूर्वक संपन्न करवाने में भारत निर्वाचन आयोग की भूमिका प्रशंसनीय रही है। इसलिए विधानसभा एवं संसद के गठन की प्रक्रिया के लिए चुने जाने वाले सदस्य की निर्वाचन प्रक्रिया समेत सभी प्रकार के चुनाव में उत्तर प्रदेश सिविल सेवा एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्य करने के पदेन दायित्व के परिणामस्वरूप मुझे विधानसभा निर्वाचक नामावली की तैयारी से विधानसभा एवं लोकसभा के विभिन्न निर्वाचनों में कार्य करने का सौभाग्य वर्ष 1998 से प्राप्त हुआ है और मा. भारत निर्वाचन आयोग, निर्वाचन सदन, नई दिल्ली से जुड़ने का सौभाग्य भी सेवा में बहुत शीघ्र प्राप्त हो गया था। 

यहां पर मैं अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा करता हूँ। मसलन, उत्तर प्रदेश में विधानसभा निर्वाचन 2002 के अन्तर्गत सर्वप्रथम ईवीएम के माध्यम से निर्वाचन कराये जाने के निर्णय के कारण वर्ष 2001 से ही मा. भारत निर्वाचन आयोग के विभिन्न प्रशिक्षणों से जुड़ा और वर्ष 2009 में 'लोकसभा सामान्य निर्वाचन-2009' के निर्वाचन से मुझे प्रशिक्षण प्राप्त करने एवं प्रशिक्षक के रूप में कार्य करने की अभिरुचि बढ़ी और कब धीरे-धीरे मेरे अन्तःमन में लोकतंत्र को मजबूत करने की प्रक्रिया में उत्कृष्ट कार्य करने की इच्छा जागृत हुयी, इस वास्ते कोई विशिष्ट वर्ष एवं समय मैं नहीं बता सकता।
परन्तु वर्ष 2012 व 2017 में उप जिला निर्वाचन अधिकारी, मेरठ के रूप में एवं वर्ष 2014 में उप जिला निर्वाचन अधिकारी, सहारनपुर के रूप में कार्य करने एवं मा. भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सम्पूर्ण भारत में निर्वाचन प्रक्रिया को नियमों के अनुसार पारदर्शी, निष्पक्ष एवं योग्य प्रशिक्षित रिटर्निंग ऑफिसर के माध्यम से सम्पूर्ण निर्वाचनों को निष्पक्ष रूप से कराने का भागीरथी प्रयास वर्ष 2015 एवं 2016 में किया गया। 

उसी के क्रम में रिटर्निंग ऑफिसर सर्टिफिकेशन कोर्स का मॉडल तैयार किया गया, जिसके अन्तर्गत राष्ट्र स्तरीय मास्टर ट्रेनर (नेशनल लेवल मास्टर ट्रेनर-एनएलएमटी) के रूप में चयनित होकर मुझे उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मेघालय, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा व नई दिल्ली में 'एनएमएलटी' के रूप में आईएएस व पीसीएस के अधिकारियों को आरओ सर्टिफिकेशन कोर्स के अन्तर्गत उपरोक्त राज्यों में प्रशिक्षण देने का सौभाग्य मा. भारत निर्वाचन आयोग के माध्यम से प्राप्त हुआ, जिसे मैंने बखूबी निभाया।

तदुपरांत मा. भारत निर्वाचन आयोग के तत्वावधान में वर्ष 2016 में कनॉट प्लेस, नई दिल्ली में आयोजित मतदाता महोत्सव में उत्तर प्रदेश के नोडल अधिकारी के रूप में प्रतिभाग का अवसर मिलने पर 'मतदाता महोत्सव 2016' में नियत 02 पुरस्कारों में उत्तर प्रदेश को दोनों प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। वहीं, पूर्व के वर्षों में उत्कृष्ट निर्वाचन व्यवस्था सुनियोजित मतदाता शिक्षा एवं सहभागिता कार्यक्रम के अन्तर्गत कार्य करने के लिए 25 जनवरी को मतदाता दिवस के अवसर पर वर्ष 2012, 2014, 2016 व 2017 में राज्य स्तरीय पुरस्कार महामहिम राज्यपाल महोदय के हाथों उपरोक्त वर्षों में प्राप्त हुआ। 

वहीं, वर्ष 2017 के लिए राष्ट्रीय मतदाता पुरस्कार के लिए भी नॉमिनेशन्स हुआ, परन्तु मैं अन्तिम राउण्ड में चयनित नहीं हो सका। फिर, विधानसभा सामान्य निर्वाचन-2022 के निर्वाचन में "जिला निर्वाचन अधिकारी" के रूप में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए मैंने राष्ट्र स्तरीय पुरस्कार के लिए 'निर्वाचन प्रबन्ध' विषय पर अपना आवेदन किया और मुझे मा० भारत निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार के लिए चुना। जिसके दृष्टिगत मेरे पास शब्द नहीं है कि मा. भारत निर्वाचन आयोग के लिए कैसे और किन शब्दों में मैं अपनी कृतज्ञता व्यक्त करूँ, परन्तु मैं आज निःशब्द रहकर अपनी प्रशंसा का इजहार करना चाह रहा हूँ।

देखा जाए तो विश्व के सबसे सशक्त लोकतंत्र में मा० भारत निर्वाचन आयोग, जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की वह निष्पक्ष संस्था है, जिसके माध्यम से मुझे यह गौरव प्राप्त हुआ। इसलिए मेरी आंखों में खुशी के आंसू हैं, क्योंकि वर्ष 2014 में सहारनपुर में लोकसभा सामान्य निर्वाचन 2014 में प्रदेश में सर्वाधिक 75 प्रतिशत का कीर्तिमान मतदान होने के बावजूद भी राष्ट्र स्तरीय पुरस्कार नहीं मिल सका था। इसी प्रकार उत्तरप्रदेश विधानसभा (सामान्य) निर्वाचन 2017 के अंतर्गत मतदाता दिवस (25 जनवरी, 2017) पर
मतदाताओं को जागरूक करने के लिए 230 मेरठ के जनपदीय स्कूलों के माध्यम से साढ़े 4 किलोमीटर जागरूकता सम्बन्धी पेंटिंग-पोस्टर बनाये गए थे और उन्हें प्रदर्शित भी किया गया था, लेकिन प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते उस वक्त कोई सम्मान नहीं मिल पाया। 

तब विधानसभा सामान्य निर्वाचन 2017 में उत्कृष्ट निर्वाचन प्रबंधन के बावजूद जिला निर्वाचन अधिकारी एवं मैं स्वयं उप जिला निर्वाचन अधिकारी के तौर पर राष्ट्र स्तरीय पुरस्कार पाने से वंचित रहे। वर्ष 2017 के लिए राष्ट्र स्तरीय पुरस्कार के लिए नॉमिनेटेड होने के पश्चात् मा. भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लिए गए निर्णय के क्रम में चयनित नहीं हो सका, परन्तु मैं निराश नहीं हुआ अपितु और अधिक परिश्रम के साथ निर्वाचन के कार्यों को करने का सम्बल मिला, जिसके कारण मुझे एक नई ऊर्जा मिली।

मा० भारत निर्वाचन आयोग के आशीर्वाचन एवं प्रेरणा से ईसीआई (मा. भारत निर्वाचन आयोग) के शासकीय व्यय पर देश के विभिन्न प्रान्तों में 'एनएलएमटी' के रूप में प्रशिक्षण देने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ और मेरे व्यक्तित्व में लेखन एवं प्रशिक्षण देने की अद्भुत कला का  अनुकरणीय विकास जनहित के लिए हुआ। इसके लिए मैं ईसीआई एवं अपने सहयोगी तथा वरिष्ठ अधिकारीगण के प्रति अत्यन्त संवेदनशीलता, विनम्रता और आदर भाव से कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ और यह सम्मान मेरे लिए मेरे जीवन की उत्कृष्ट धरोहर है, जिसे मैं हृदय से प्यार करता हूँ।

माननीय भारत निर्वाचन आयोग के पत्र संख्या 590/एलईटी/ईसीआई/एफयूएनसी/एसवाईईईपी-lll/नेशनल अवार्ड/2022 आरईजी के द्वारा जेनरल कैटेगरी में मेरा चयन होने पर मैं स्वयं अपने परिवार, इष्ट मित्रों के साथ खुश हूँ और मा. भारत निर्वाचन आयोग के निष्पक्ष चयन प्रक्रिया के प्रति अपनी आस्था रखते हुए आदर सम्मान की अनुभूति के साथ कृतज्ञता व्यक्त करते हुए यह अवार्ड मैं जनसहयोग एवं लोकतंत्र में आस्थावान मतदाताओं एवं समस्त राजनैतिक दल, सहयोगी अधिकारी, कर्मचारी तथा परिजनों को समर्पित करता हूँ। 

बता दूं कि अत्यन्त भावुक भाव से इस उत्कृष्ट उपलब्धि पर विनम्रता के साथ खुश होकर अपनी खुशी को लिपिबद्ध कर रहा हूँ और आकांक्षा प्रकट कर रहा हूँ कि ईश्वर मुझे लोकतांत्रिक मूल्यों एवं लोकतंत्रात्मक प्रणाली में अटूट विश्वास की अजस्र शक्ति प्रदान करें। मैं कभी इस पुरस्कार की महत्ता को नहीं भूल सकता हूँ, यह मेरी सबसे बड़ी पूंजी एवं उपलब्धि है।

हमलोग इस बात से अवगत हैं कि सदियों से गुलामी की जंजीरों में जकड़े भारत देश को वर्ष 1857 से स्वतंत्रता की दीवानी जनता एवं सेना के अदम्य साहस से शुरू हुई क्रांति की ज्वाला ने लगभग 90 वर्ष की साधना एवं लाखों युवक-युवतियों के शौर्य, पराक्रम, बलिदान की आहुतियों के साथ, हजारों चिंतक, मनीषियों एवं स्वतंत्रता प्रेमी भारत के आवाम की अकथ कहानी, स्वतंत्रता की सुदीर्घ संघर्ष पूर्ण सत्य, अहिंसा, प्रेम और अप्रतिम क्रांति की ज्वालामुखी विस्फोटक दर्शन की युगल बन्दी अर्थात दर्शन के रूप में अहिंसा और हिंसा की अद्वैतवाद की दार्शनिक युगलबंदी की एक लक्ष्य केंद्रित 'स्वतंत्रता पुकारती मां भारती' की आजादी के लिए लड़ी गई। 

इसी के फलस्वरूप स्वतंत्रता संग्राम की सुदीर्घ साधना युक्त लड़ाई व जनसंघर्ष से 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली और 25 जनवरी 1950 को मा. भारत निर्वाचन आयोग की स्थापना के साथ लोकतांत्रिक प्रणाली के माध्यम से सरकारों के गठन की शक्ति भारत के नागरिकों यानी 18 वर्ष की आयु प्राप्त होने एवं मतदाता सूची में मतदाता के रूप में नाम पंजीकृत कराने के आधार पर यह शक्ति भारतीय मतदाताओं को प्रदत्त हुई।

शायद इस शक्ति के 'प्रभाव' को पुष्ट करने के लिए वर्ष 2011 से मा. भारत निर्वाचन आयोग ने प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को यानी अपने स्थापना दिवस को मतदाताओं को समर्पित करने के उद्देश्य से संविधान की भावना के अनुरूप 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' के रूप में मनाने का संकल्प लिया।  मुझे प्रसन्नता है कि राष्ट्रीय मतदाता दिवस को मनाने की प्रक्रिया में मेरे व्यक्तिगत योगदान एवं अभिरुचि तथा लोकतांत्रिक व्यवस्था में आस्था के कारण पदेन दायित्वों के निर्वहन के लिए किए गए प्रयासों के क्रम में 4 बार राज्यस्तरीय पुरस्कार के रूप में मुझे मा. भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुना गया।

वहीं, वर्ष 2022 के लिए माननीय भारत निर्वाचन आयोग ने 'बेस्ट इलेक्टोरल प्रैक्टिस अवार्ड 2022' के अंतर्गत जेनरल कैटेगरी यानी सामान्य श्रेणी में उत्तरप्रदेश के जनपद बहराइच के जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में मुझे यानी डॉ दिनेश चंद्र सिंह, आईएएस, डीएम, बहराइच को चयनित किया। इसी क्रम में 25 जनवरी 2023 को नई दिल्ली में  राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के हाथों से यह सम्मान मुझे मिला। इस गौरवशाली क्षण में मुझे हुई अनुभूति को शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिए सम्भव नहीं है, इसलिए मौन रहकर मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूँ और मा. भारत निर्वाचन आयोग के प्रति कृतज्ञता जाहिर करता हूँ। 

ऐसा करते हुए हमें अपने पदेन दायित्व के निर्वहन को प्राप्त करने के सौभाग्य के प्रति ईश्वर और अपने ईष्ट श्रीयुत हनुमानजी की कृपा एवं आशीर्वाद को भी नमन करता हूँ।
मैंने यहां पर उन संकल्पों, जिनको भारत रत्न डॉ बी.आर.अंबेडकर ने संविधान सभा में हुई बहस में रखा था, को उद्धृत कर रहा हूँ- "यह सदन इस बात को महसूस करेगा कि मताधिकार लोकतंत्र की सर्वाधिक मौलिक चीज है। इसलिए समस्त निर्वाचन तंत्र को एक केंद्रीय निर्वाचन आयोग के हाथों में होना चाहिए, जो रिटर्निंग अधिकारियों, मतदान अधिकारियों और निर्वाचक नामावलियों की तैयारी एवं पुनरीक्षण के कार्यों में लगे हुए अन्य अधिकारियों को निर्देश जारी करने के लिए अधिकृत होगा, ताकि भारत के किसी भी नागरिक, जो इस संविधान के अंतर्गत निर्वाचक नामावलियों में पंजीकृत होने के लिए पात्र है, के प्रति कोई भी अन्याय न हो सके।"- भारत रत्न डॉ बी.आर.अंबेडकर संविधान सभा में हुई बहस से उद्धृत। 

गोया, उपरोक्त उद्धरण को प्रस्तुत कर मैं अपना उद्गार मा. भारत निर्वाचन आयोग की निष्पक्ष कार्यप्रणाली के लिए प्रतिबद्धता के साथ प्रस्तुत कर केवल यह कहने का प्रयास कर रहा हूँ कि निष्पक्षता के प्रतीक एवं लोकतांत्रिक मूल्यों के सजग प्रहरी मा. भारत निर्वाचन आयोग की नजर एवं कसौटी पर कसे होने के कारण मुझे यह पुरस्कार मिला। इस लिहाज से धन्य है हमारा लोकतंत्र, जिसमें संपूर्ण शक्ति भारतीय संविधान ने भारत के लोगों में एवं मतदाताओं में निहित की है। वहीं, धन्य हूँ मैं, जिसको 'जिला निर्वाचन अधिकारी, बहराइच' के रूप में कार्य करने एवं पुरस्कार के रूप में चयनित होने का गौरव प्राप्त हुआ। इसके लिए पुनः सभी राजनैतिक दलों, मतदाताओं और प्रेस के प्रति आदर और कृतज्ञता का भाव प्रकट करते हुए उत्कृष्ट कार्य करने के लिए अपने सहयोगी अधिकारियों व कर्मचारियों के प्रति सहयोग व सम्मान का भाव अभिव्यक्त करता हूँ।

(लेखक बहराइच, उत्तरप्रदेश के जिलाधिकारी हैं।)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

संस्मरण श्रद्धांजलि: नाती की स्मृतियों में नाना की सुमधुर यादें

लूट गई बेटियों की आबरू भरे बाजार, कहाँ गए जो कहते थे मैं भी चौकीदार!

पूर्वी भारत के युवा उद्यमियों के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे उद्यमी स्व. अजय कुमार सिंह