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एयर इंडिया प्लेन क्रैश अहमदाबाद की नसीहत को समझिए, मर्माहत होइए, कुछ सोचिए-समझिए

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एयर इंडिया प्लेन क्रैश अहमदाबाद की नसीहत को समझिए, मर्माहत होइए, कुछ सोचिए-समझिए @ डॉ दिनेश चन्द्र सिंह, आईएएस एयर इंडिया अहमदाबाद प्लेन क्रैश की घटना ने सभी संवेदनशील मनुष्यों को द्रवीभूत किया है और पुनः उस परमशक्तिशाली ईश्वरीय सत्ता के अधीन अपने को तन-मन को समर्पित करने और धर्म-कर्म से सम्बन्धित होकर सोचने के लिए विवश किया है। उल्लेखनीय है कि गत 12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अहमदाबाद से उड़ान भरते ही बोईंग 787-8 ड्रीम लाइनर क्रैश हो गई। इस हृदयविदारक प्लेन क्रैश में जहां 270 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई, वहीं ईश्वरीय कृपा से एक यात्री इस विमान क्रैश की विभीषिका के बावजूद भी बाल-बाल बच गया। ऐसे में सवाल उठता है कि यह हादसा किन कारणों से हुआ और यदि एक व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा रही, तो फिर अन्य पर क्यों नहीं? यक्ष प्रश्न है कि क्या विमान में यात्रा कर रहे यात्रियों में से एक मात्र व्यक्ति ही पुण्य कर्म का भागी है? उत्तर होगा- शायद नहीं! मैं भी इस एकांगी विचार से असहमत हूँ। जैसा कि मैंने देखा, अनुभव किया, दुर्घटनाएं भी म...

आखिर अमेरिका, चीन और रूस के 'साम्राज्यवादी लव ट्रेंगल' को क्यों खटकता है भारत? समझिए विस्तार से

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आखिर अमेरिका, चीन और रूस के 'साम्राज्यवादी लव ट्रेंगल' को क्यों खटकता है भारत? समझिए विस्तार से @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की शतरंजी विसात पर भारत ने अमेरिका को जो पटखनी दर पटखनी दी है, उसकी खुन्नस अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंफ के चेहरे पर साफ महसूस की जा सकती है। वहीं, भारत के सम्बन्ध में उनकी बदलती नीतियों से अब यह स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है कि रूस और भारत के संयुक्त चक्रब्युह में निरंतर फंसते जा रहे अमेरिका के पास अब चीन के समक्ष घुटने टेकने के अलावा और कोई चारा भी नहीं बचा है।  लेकिन आप यह जानकर और भी हैरत में पड़ जाएंगे कि इसके बाद भी अमेरिका की दुश्वारियां कम नहीं होने वाली हैं। ऐसा इसलिए की तेजी से वैश्विक महाशक्ति बनते जा रहे भारत ने अंतरराष्ट्रीय दुनियादारी में अमेरिका, चीन और रूस तथा इनके शागिर्द देशों/गठबंधन भागीदारों को साधते हुए खुद को आगे बढ़ाने का जो निश्चय किया है, उससे अमेरिका और चीन के होश फाख्ता हो चुके हैं। वहीं, भारत का सदाबहार दोस्त रूस मन ही मन गदगद है, क्योंकि अमेरिका और नाटो देशों के खिलाफ जो चक्...

मोदी शासन: एक रुद्र बनाम रौद्र रूप के सियासी मायने को ऐसे समझिए

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मोदी शासन: एक रुद्र बनाम रौद्र रूप, गर्व कीजिए कि हम भारतीय हैं! @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक सदैव लोककल्याणकारी देवाधिदेव महादेव के दरबार में एक रुद्र का मतलब ग्यारह होता है। सनातन धर्म में यह बेहद कल्याणकारी अंक समझा जाता है। इस नजरिए से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजनीतिक क्लोन भारतीय जनता पार्टी के देशव्यापी शासन के छठवीं पारी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निरंतरता के 11 वर्ष पूरे होने पर देशवासियों यानी हर हिंदुस्तानी को गर्व तो होना ही चाहिए। क्योंकि इसी वर्ष पाकिस्तान द्वारा प्रोत्साहित और चीन-अमेरिका द्वारा उकसाए हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद दी गई जवाबी प्रतिक्रिया में भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारी संयुक्त सेनाओं ने जो अपना रौद्र रूप दिखलाया है, वह काबिलेतारीफ है। इसने दुनियावी महाशक्तियों को अपनी हद में रहने अन्यथा दुष्परिणाम झेलने का दो टूक संदेश दिया है। कहना न होगा कि भारतीयों की यह महानतम उपलब्धि अनायास नहीं है, बल्कि मोदी सरकार की ग्यारह वर्षीय सैन्य साधना का चमत्कार है। यह आरएसएस के शताब्दी वर्ष को और भाजपा...

क्या बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के सियासी झोंके में बुझ जाएगा 'लोजपा आर' का 'राजनीतिक चिराग'?

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क्या बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के सियासी झोंके में बुझ जाएगा 'लोजपा आर' का 'राजनीतिक चिराग'? @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक आगामी अक्टूबर-नवम्बर माह में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर कुछ राजनेता जो बयानवीर बनकर सियासी गलतफहमियां परोस रहे हैं, वह यदि उनके दल के ऊपर भारी पड़ गईं तो किसी को हैरत नहीं होगी, क्योंकि जैसी करनी वैसी भरनी ही बिहार की राजनीतिक नियति का स्पष्ट चक्र रहा है। जिस तरह से यहां पर जातिवादी समाजवादी नेता लालू प्रसाद (पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार) और नीतीश कुमार (मौजूदा मुख्यमंत्री, बिहार) ने लंबा शासन किया और आपसी समझदारी से किसी दूसरे की सियासी दाल नहीं गलने दी, वैसा उदाहरण किसी अन्य प्रदेश में कभी नहीं मिला! यही वजह है कि बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए "एक अनार सौ बीमार" की तर्ज पर चाहे जितने भी दावे कर लिए जाएं, लेकिन अंततोगत्वा क्या होगा, यह तो चुनाव परिणाम और लालू-नीतीश के इशारे पर उनके भरोसेमंद शागिर्द ही तय करेंगे, जो सूबाई सियासी खेला करने में माहिर समझे जाते हैं। यह अजीबोगरीब है कि कभी ल...

आतंकवाद के मुकाबिल बदलती अमेरिकी नीतियों के दृष्टिगत अब भारत को बनानी होगी नई रणनीति?

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आतंकवाद के मुकाबिल बदलती अमेरिकी नीतियों के दृष्टिगत अब भारत को बनानी होगी नई रणनीति? @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक आपको पता होना चाहिए कि दमिश्क/अम्मान से रायटर ने गत 2 जून 2025 दिन सोमवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दूत के हवाले से खुलासा करते हुए कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने सीरिया के नए 'आतंकी/जेहादी' नेतृत्व द्वारा हजारों विदेशी जिहादी यानी पूर्व विद्रोही लड़ाकों को राष्ट्रीय सेना में शामिल करने की योजना को अपनी मंजूरी दे दी है, बशर्ते कि यह पारदर्शी तरीके से हो। जैसा कि तीन सीरियाई रक्षा अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि इस योजना के तहत, लगभग 3,500 विदेशी लड़ाके, मुख्य रूप से चीन और पड़ोसी देशों के उइगर, एक नवगठित इकाई, 84वीं सीरियाई सेना डिवीजन में शामिल होंगे, जिसमें सीरियाई भी शामिल होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये लड़ाके अपनी पुरानी मानसिकता से उबर पाएंगे? उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान को आज तालिबानी जेहादी लड़ाके चला रहे हैं और पाकिस्तान में भी मुस्लिम आतंकवादी लड़ाके सेना का अंग बन चुके हैं जिसकी पुष्टि ऑपरेशन सिंदूर के ...

भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता का बेजा इस्तेमाल के लिए दोषी कौन?

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भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता का बेजा इस्तेमाल के लिए दोषी कौन?  @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका की स्वतंत्रता अक्षुण्ण रखने के लिए जजों का स्वतंत्र रहना बहुत जरूरी है। लेकिन प्रतिष्ठित पदों पर रहते हुए कतिपय जजों ने जो कुछ कारनामें किए हैं, उसके दृष्टिगत न्यायपालिका में मूलभूत बदलाव नहीं करना जनतंत्र के लिए भी अहितकर साबित हो रहा है। इसलिए यक्ष प्रश्न है कि भारत में न्यायपालिका की स्वतंत्रता का बेजा इस्तेमाल के लिए आखिर में दोषी कौन है? और उसके खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने, करवाने में न्यायिक प्रशासन या फिर कार्यपालक प्रशासन के हाथपांव क्यों फूलने लगते हैं? यदि पुरानी बातें छोड़ भी दें तो जस्टिस जे एस वर्मा के खिलाफ जितनी मंथर गति से कार्रवाई चल रही है, वह पूरी संवैधानिक व्यवस्था के लिए गम्भीर चिंता की बात है। इससे भ्रष्टाचार के संलिप्त लोगों को बढ़ावा मिलेगा। सुलगता सवाल है कि किसी भी मामले में जितनी ततपरता पूर्वक आम आदमी के खिलाफ कार्रवाई होती है, उतनी ही ततपरतापूर्वक कार्रवाई किसी खास आदमी के खिलाफ आखिर क्यों नहीं दिख...

रेयर अर्थ एलिमेंट्स उत्पादों पर चीनी निर्यात प्रतिबंधों के चलते विभिन्न उद्योगों पर मंडराते संकट का कूटनीतिक समाधान ढूंढे भारत सरकार!

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रेयर अर्थ एलिमेंट्स उत्पादों पर चीनी निर्यात प्रतिबंधों के चलते भारत का इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग संकट में, अविलंब  कूटनीतिक समाधान खोजे सरकार! @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक रेयर अर्थ एलिमेंट्स से जुड़े उत्पादों पर चीन द्वारा गत अप्रैल-मई माह 2025 से लगाए गए निर्यात प्रतिबंध ने भारत के ऑटोमोटिव क्षेत्र, खासकर तेजी से बढ़ते ईवी सेगमेंट, में संकट पैदा कर दिया है। क्योंकि रेयर अर्थ मैग्नेट ईवी मोटर के लिए जरूरी हैं। बता दें कि ईवी वाहनों में प्रति वाहन लगभग 550 ग्राम मटीरियल चाहिए, जबकि सामान्य पेट्रोल-डीजल वाहनों में 140 ग्राम। चूंकि ये मैग्नेट पावर विंडो, ऑडियो सिस्टम और एंटी-लॉक ब्रेक जैसे हिस्सों में भी महत्वपूर्ण हैं। इसलिए इन आरईई उत्पादों के बिना इलेक्ट्रिक वेहिकिल्स उद्योग के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। यही वजह है कि भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता संघ (SIAM) ने लगातार कम हो रहे स्टॉक की आपूर्ति को बनाए रखने के लिए समय रहते ही समुचित कदम उठाने की चेतावनी देते हुए दो टूक शब्दों में कहा है कि यदि जल्द ही इसका समाधान नहीं हुआ तो ईवी उद्योग ‘पूरी त...