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उपराष्ट्रपति चुनाव को राष्ट्रवाद बनाम धर्मनिरपेक्षता की सियासी लड़ाई बनाने के रणनीतिक मायने

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उपराष्ट्रपति चुनाव को राष्ट्रवाद बनाम धर्मनिरपेक्षता की सियासी लड़ाई बनाने के रणनीतिक मायने @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक उपराष्ट्रपति पद के लिए अब एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों तरफ से उम्मीदवारों का ऐलान हो चुका है। एनडीए ने जहां महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं उनसे मुकाबले के लिए इंडिया ब्लॉक ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बी. सुदर्शन रेड्डी को चुनाव मैदान में उतारा है। इस प्रकार एक तरफ जहां मोदी ने एनडीए उम्मीदवार की तारीफ करते हुए कहा है कि राधाकृष्णन सियासी खेल नहीं करते हैं, बल्कि सुलझे हुए राजनेता हैं। वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष ने इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार रेड्डी को गैरराजनीतिक चेहरा बताते हुए कहा है कि मौजूदा चुनाव विचारधारा (संघ बनाम प्रगतिशील) की लड़ाई है। साधारण भाषा में कहें तो उपराष्ट्रपति चुनाव को भी राष्ट्रवाद बनाम धर्मनिरपेक्षता की सियासी लड़ाई का नया अखाड़ा बना दिया गया है, जिसके रणनीतिक मायने भी दिलचस्प हैं। यूँ तो संख्या बल में एनडीए यानी सत्ता पक्ष का पलड़ा भारी है, लेकिन यह लड़ाई आंकड़ों से ज्यादा प्...

राजनीतिक भ्रष्टाचार व अपराध को मिटाने के लिए भाजपा द्वारा लाए हुए तीन नए कानूनों के सियासी मायने समझिये

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राजनीतिक भ्रष्टाचार व अपराध को मिटाने के लिए भाजपा द्वारा लाए हुए तीन नए कानूनों के सियासी मायने समझिये @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक देश में यथार्थवादी सियासत को बढ़ावा देने वाली राष्ट्रवादी स्वभाव की भारतीय जनता पार्टी अक्सर राजनीति की उन दुःखती हुई रगों पर ही हाथ डालती आई है जो इस सद्भावी देश व समरस समाज को बदलने की कुव्वत रखते हैं। इससे सोकॉल्ड सेक्यूलर्स, समाजवादियों व साम्यवादियों की बौखलाहट देखते ही बनती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित भाजपा की दशक भर से ज्यादा देशव्यापी सियासी सफलता का राज भी यही है।  इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गत बुद्धवार को एकजूट विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच सदन में जो ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ को पेश किया और उसके बाद उनके ही प्रस्ताव पर सदन ने तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का जो निर्णय लिया, वह देश व स्वस्थ समाज की स्थापना की दिशा में एक और बहुत ही उपयोगी प...

राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा सर्जियो गोर को भारत में नया अमेरिकी राजदूत नामित किए जाने के कूटनीतिक मायने

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सर्जियो गोर को भारत में नया अमेरिकी राजदूत नामित किए जाने के कूटनीतिक मायने @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने खास सिपहसालार सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का नया राजदूत नामित किया है। पिछले ढाई दशकों से निरंतर मजबूत होने के बाद एक बार फिर से भारत-अमेरिका सम्बन्ध पुनः उसी चौराहे पर पहुंच चुके हैं, जहां से 20वीं सदी के अंतिम दशक में प्रारंभ हुए थे। इसलिए यह नियुक्ति केवल कूटनीतिक बदलाव भर नहीं मानी जा सकती है, बल्कि इस बात के संकेत दे रही है कि आने वाले समय में भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय रिश्तों का चेहरा और चरित्र दोनों बदलने वाला है। ऐसा इसलिए कि सर्जियो गोर की छवि ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा के कट्टर समर्थक और राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के भरोसेमंद सहयोगी के रूप में रही है। इससे यह स्पष्ट है कि अमेरिका अब भारत के साथ अपने रिश्तों को ज्यादा लेन-देन आधारित कूटनीति के नजरिए से देखेगा।  यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक जगत में इस बात की चर्चा तेज हो चुकी है कि पहले 'शत्रु' को 'म...

भारत-अमेरिका सम्बन्धों में आए दरार के कूटनीति मायने

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भारत-अमेरिका सम्बन्धों में आए दरार के कूटनीति मायने @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक भारत-अमेरिका संबंधों में गहराते दरार से दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा और रणनीतिक सहयोग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और महामारी जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग भी प्रभावित हो सकता है। चूंकि भारत और अमेरिका के बीच संबंध 1947 में हासिल स्वतंत्रता के बाद से ही महत्वपूर्ण रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें जो उतार-चढ़ाव आए हैं, उसपर पूरी दुनिया की स्वार्थपरक निगाहें लगी हुई हैं। ऐसा इसलिए कि इससे अंतरराष्ट्रीय ध्रुवीकरण की पूर्ववर्ती और मौजूदा दोनों कोशिशों को भी गहरा धक्का लग सकता है।  चूंकि भारत एक गुटनिरपेक्ष देश है, ऐतिहासिक पंचशील के सिद्धांतों को मानता आया है, इसलिए वह अमेरिका और रूस (यूएसएसआर) के खेमेबाजी से दूर रहने की कोशिश करता है। अमेरिका-चीन के वैश्विक रस्साकशी से खुद को दूर रखना चाहता है। लेकिन पिछले 7-8 दशक में भारत के पड़ोसी देशों- पाकिस्तान व चीन ने ऐसा सीमाई उधम मचाया कि भारत को कभी रूस से तो कभी ...

बिहार: क्या राजनीतिक पर्यटन से इतर कोई ठोस सियासी संदेश दे पाएगा वोटर अधिकार यात्रा?

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बिहार: क्या राजनीतिक पर्यटन से इतर कोई ठोस सियासी संदेश दे पाएगा वोटर अधिकार यात्रा? @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक कांग्रेस सुप्रीमो रहे लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दृष्टिगत, केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए मतदाता सूची के "विशेष गहन पुनरीक्षण" (एसआईआर) अभियान की सड़क से सांसद तक पुरजोर मुखालफत की है। इस पर उन्हें विपक्षी पार्टियों का भी उसी तरह से साथ मिला है, जिस तरह से उनकी "संविधान बचाओ अभियान" को भरपूर साथ मिला था।  यही वजह है कि रविवार को उन्होंने "मतदाता (वोटर) अधिकार यात्रा" का आगाज दलित नेता व पूर्व कांग्रेसी उपप्रधानमंत्री स्व. जगजीवन राम के गृह क्षेत्र सासाराम से किया है, जो उनकी पुत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीमती मीरा कुमार की भी कर्मभूमि समझी जाती है। शायद दलित मतदाताओं को पुनः पार्टी से जोड़ने के लिए ही बिहार प्रदेश कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष दलित नेता राजेश कुमार को बनाया गया है।  इसलिए यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या उनकी यह वोटर अधिकार यात्रा भी पिछली  राजनी...

संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव करती है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : एनआईईपीए

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संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव करती है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020:  एनआईईपीए # राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका और भारत को आत्मनिर्भरता के मार्ग की ओर अग्रसर करना निर्विवाद है। शिक्षा का यह अंतर्निहित सार बहुत ही महत्वपूर्ण है: तरुण विजय  # 15 वीं मौलाना आज़ाद मेमोरियल व्याख्यान स्टीन ऑडिटोरियम, इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में गत दिनों कार्यक्रम आयोजित हुआ @ कमलेश पांडे, वरिष्ठ संवाददाता  नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर, एनआईईपीए (NIEPA) ने स्टीन ऑडिटोरियम, इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में गत दिनों अपना 15 वां मौलाना आज़ाद मेमोरियल व्याख्यान आयोजित किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व राज्यसभा सदस्य तरुण विजय, पूर्व संपादक, पंचजान्य और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष थे। वहीं, व्याख्यान की अध्यक्षता श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुरली मनोहर पाठक ने की। यह आयोजन प्रो शशिकला वंजारी, कुलपति, एनआईईपीए और सूर्य नारायण मिश्रा, रजिस्...

The National Education Policy 2020 proposes significant changes to the entire education system

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The National Education Policy 2020 proposes significant changes to the entire education system # The critical role of education in the process of nation-building and making India tread towards the path of self-reliance is undeniable. This Inherent essence of education was very pertinently: Tarun Vijay # 15th Maulana Azad Memorial Lecture held on last days at Stein Auditorium, India Habitat Centre, New Delhi.  @ Kamlesh Pandey, Sr Correspondent New Delhi: On the occasion of National Education Day, NIEPA organized its 15th Maulana Azad Memorial Lecture on last days at Stein Auditorium, India Habitat Centre, New Delhi. The invited chief guest for the event was former Rajya Sabha member, Hon’ble Shri Tarun Vijay, Former Editor, Panchajanya and Former Chairman of National Monuments Authority.  The lecture was chaired by Prof. Murlimanohar Pathak, Vice-Chancellor, Shri Lal Bahadur Shastri National Sanskrit University. The event was held under the overall guidance and lea...