उपराष्ट्रपति चुनाव को राष्ट्रवाद बनाम धर्मनिरपेक्षता की सियासी लड़ाई बनाने के रणनीतिक मायने
उपराष्ट्रपति चुनाव को राष्ट्रवाद बनाम धर्मनिरपेक्षता की सियासी लड़ाई बनाने के रणनीतिक मायने @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक उपराष्ट्रपति पद के लिए अब एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों तरफ से उम्मीदवारों का ऐलान हो चुका है। एनडीए ने जहां महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं उनसे मुकाबले के लिए इंडिया ब्लॉक ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बी. सुदर्शन रेड्डी को चुनाव मैदान में उतारा है। इस प्रकार एक तरफ जहां मोदी ने एनडीए उम्मीदवार की तारीफ करते हुए कहा है कि राधाकृष्णन सियासी खेल नहीं करते हैं, बल्कि सुलझे हुए राजनेता हैं। वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष ने इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार रेड्डी को गैरराजनीतिक चेहरा बताते हुए कहा है कि मौजूदा चुनाव विचारधारा (संघ बनाम प्रगतिशील) की लड़ाई है। साधारण भाषा में कहें तो उपराष्ट्रपति चुनाव को भी राष्ट्रवाद बनाम धर्मनिरपेक्षता की सियासी लड़ाई का नया अखाड़ा बना दिया गया है, जिसके रणनीतिक मायने भी दिलचस्प हैं। यूँ तो संख्या बल में एनडीए यानी सत्ता पक्ष का पलड़ा भारी है, लेकिन यह लड़ाई आंकड़ों से ज्यादा प्...