संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव करती है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : एनआईईपीए


संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव करती है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: एनआईईपीए

# राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका और भारत को आत्मनिर्भरता के मार्ग की ओर अग्रसर करना निर्विवाद है। शिक्षा का यह अंतर्निहित सार बहुत ही महत्वपूर्ण है: तरुण विजय 

# 15 वीं मौलाना आज़ाद मेमोरियल व्याख्यान स्टीन ऑडिटोरियम, इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में गत दिनों कार्यक्रम आयोजित हुआ
@ कमलेश पांडे, वरिष्ठ संवाददाता 

नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर, एनआईईपीए (NIEPA) ने स्टीन ऑडिटोरियम, इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में गत दिनों अपना 15 वां मौलाना आज़ाद मेमोरियल व्याख्यान आयोजित किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व राज्यसभा सदस्य तरुण विजय, पूर्व संपादक, पंचजान्य और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष थे। वहीं, व्याख्यान की अध्यक्षता श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुरली मनोहर पाठक ने की। यह आयोजन प्रो शशिकला वंजारी, कुलपति, एनआईईपीए और सूर्य नारायण मिश्रा, रजिस्ट्रार, एनआईईपीए के समग्र मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयोजित किया गया और इसका समन्वय प्रो ए के सिंह, प्रमुख, शैक्षिक नीति विभाग, एनआईईपीए द्वारा किया गया।
राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका और भारत को आत्मनिर्भरता के मार्ग की ओर ले जाना निर्विवाद है। माननीय मुख्य अतिथि तरुण विजय द्वारा शिक्षा के इस अंतर्निहित सार को बहुत ही स्पष्ट शब्दों में उजागर किया गया। उन्होंने गौतम बुद्ध, चाणक्य, आदि शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी जैसे महान विचारकों के महत्व को रेखांकित करते हुए और श्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के महत्वपूर्ण योगदान को उजागर करते हुए, इस घटना के महत्व पर बहुत जोर दिया और बताया कि आज कैसे हमारे देश को एक आत्म-योगदान की जरूरत है। उन्होंने शिक्षा का उद्देश्य क्या है, विषयक एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न उठाते हुए इस बात पर जोर दिया कि हम आत्मनिर्भरता के मार्ग का अनुसरण केवल तभी कर सकते हैं जब हम एक भारतीय और असंख्य प्रतीकात्मक अभिव्यक्तियों के रूप में अपनी पहचान को जानते हैं और इसे महत्व देते हैं। यह शाश्वत दृष्टिकोण अपने तिरंगे झंडे, अपनी नदियों और अपनी मिट्टी के माध्यम से ही उत्पन्न किया जा सकता है। उन्होंने समझाया कि शिक्षा दिनचर्या और उच्च क्रम जागरूकता और सोच के बीच समझदारी विकसित करने में मदद करती है और राष्ट्र निर्माण के लिए उत्प्रेरक और एक स्थायी और सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए कार्य करती है।
पूर्व सांसद श्री विजय ने इस बात पर जोर दिया कि किसी को भी पहले समृद्धि को जानना चाहिए और हमारे देश की गहन विविधता की सराहना करनी चाहिए जो राष्ट्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण कदम है। सिर्फ डिग्री और नौकरियों के लिए शिक्षित होना केवल शिक्षा का महत्वपूर्ण मूल्य होगा। इसलिए हमलोग इस बात पर व्यापक रूप से सहमत हैं कि हमारा देश ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर था, और यह वास्तव में, ज्ञान उत्पादन और प्रसार के लिए एक बीकन था। हालांकि, औपनिवेशिक आक्रमण के साथ, ज्ञान की स्वदेशी प्रणाली नष्ट हो गई, जिससे युवा पीढ़ी हमारी समृद्ध शैक्षिक विरासत से बेखबर हो गई। लिहाजा, इसे पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है ताकि देश के लोग जागरूक हों और हमारे नेताओं, विचारकों और वैज्ञानिकों के समृद्ध योगदान को स्वीकार करें। आज जो आवश्यक है वह यह कि हमारे अपने देश की समृद्ध विरासत और उसके शानदार अतीत के बारे में सबको जानना है, जो राष्ट्र-निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जो विकसित भारत की दृष्टि के करीब है। स्टार्ट अप इंडिया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना आदि और स्कूली शिक्षा से व्यावसायिक शिक्षा को शुरू करने जैसी पहल भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। उन्होंने परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका और बच्चों के लिए विकसित मूल्यों पर भी जोर दिया, और समझाया कि कैसे घर किसी भी बच्चे और मातृभाषा का पहला विश्वविद्यालय है जो दुनिया को समझने वाला पहला माध्यम है। पूर्व सांसद तरुण विजय ने रवींद्रनाथ टैगोर और श्री अरबिंदो जैसे महान दार्शनिकों का उल्लेख करते हुए,  हमारे देश के प्रति हमारी विविधता और बिना शर्त प्यार का सम्मान करने के महत्व को उजागर किया।

वहीं, एनआईईपीए की कुलपति प्रो. शशिकला वंजारी ने विभिन्न माध्यमों से देश के युवाओं की अपार क्षमता को उजागर करने पर ज़ोर दिया, क्योंकि वे हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण हितधारक हैं। उन्होंने आगे इस बात पर प्रकाश डाला कि देश के जनसांख्यिकीय लाभांश को देखते हुए, हमें युवाओं को सशक्त बनाकर अधिकतम लाभ प्राप्त करना चाहिए।

कार्यक्रम का समापन एनआईईपीए के रजिस्ट्रार सूर्य नारायण मिश्रा द्वारा औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर आयोजित यह व्याख्यान माला हर साल संस्थान के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक होता है, जिसमें शिक्षा एवं लोक नीति के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक संवाद के लिए प्रख्यात वक्ताओं को आमंत्रित किया जाता है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 देश की दीर्घकालिक विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शासन, विनियमन और गुणवत्ता सहित संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव करती है। इसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि इस नीति में उल्लिखित सुधार न केवल राष्ट्र निर्माण में सहायक होंगे, बल्कि एक आत्मनिर्भर शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और एक समतामूलक एवं न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने में भी योगदान देंगे।

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