सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ एसपी सिंह बैकुंठ लोक पहुंचे, जिलाधिकारी ने शोक व्यक्त किया, नाना जी की याद में नाती-नतिनी ने लिखा भावनात्मक पत्र
सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ एसपी सिंह बैकुंठ लोक पहुंचे, जिलाधिकारी ने शोक व्यक्त किया, नाना जी की याद में नाती-नतिनी ने लिखा भावनात्मक पत्र
@ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक दुनिया ब्लॉग
बिजनौर, धामपुर के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ एसपी सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। वो बैकुंठ लोक पहुंच गए हैं। जहां एक ओर उनके जिलाधिकारी दामाद ने व्यक्तिगत तौर पर शोक व्यक्त किया है, वहीं उनके पुत्र-पुत्रियों ने अपने नाना जी की याद में भावुक पत्र लिखा है, जिससे नाना जी और नाती-नतिनी के सम्बन्धों की गहराई प्रकट होती है। वहीं, धामपुर पब्लिक स्कूल, धामपुर के प्राचार्य ने भी एक भावनात्मक संदेश प्रेषित किया और उनकी स्मृति में विद्यालय में एक दिन का अवकाश घोषित कर दिया।
मिली जानकारी के मुताबिक, डा० दिनेश चन्द्र सिंह, आई.ए.एस.,जिलाधिकारी, जौनपुर एवं श्रीमती सपना रानी सिंह ने क्रमशः अश्रुपूर्ण आंखों एवं टूटे मन से बड़े दुःख, वेदना एवं कष्ट के साथ प्रेषित अपने "शोक सन्देश” व्यक्तिगत के माध्यम से सूचित किया है कि मेरे पूज्य पिता तुल्य-पूज्य पिताजी डॉ.एस.पी.सिंह, प्रतिष्ठित चिकित्सक धामपुर, बिजनौर जनपद गत 16 जुलाई 2025 को गोलोक को प्रस्थान कर गए। वे अपने पीछे एक भरा पूरा सभ्य व सुसंस्कृत परिवार छोड़ गए हैं।
डॉ सत्यपाल सिंह न केवल धामपुर के प्रतिष्ठित चिकित्सक रहे बल्कि लगभग 45 वर्षों तक स्थानीय व दूरस्थ लोगों को चिकित्सा सेवा प्रदान की। आपकी चिकित्सीय सेवा भाव से जनपद बिजनौर, मुरादाबाद एवं उत्तराखण्ड के कई जनपदों में लाखों नागरिकों को जीवन दान मिला एवं उन्हें बेहतर स्वास्थ्य प्रदान कराने में सहयोगी रहे। मुरादाबाद मण्डल में सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यों में उनकी उल्लेखनीय सेवा का बड़ा योगदान रहा है।
आईएएस डॉ सिंह ने आगे लिखा है कि परम् पिता परमेश्वर की इच्छा एवं विधि के विधान से आप चिकित्सीय लाभ प्राप्त करते हुए कनाडा में अपने सुपुत्र सूर्य प्रताप सिंह की सेवा के दौरान बैकुंठ लोक को प्रस्थान कर गए। उनके आकस्मिक निधन से समस्त परिवार शोकाकुल है। आप अपने पीछे सुख, समृद्ध एवं सम्पूर्ण खुशहाल परिवार छोड़ कर गये है। हम सब अत्यन्त शोक संतप्त हैं और दुःख के इस वेदना युक्त क्षणों में आपका भावनात्मक सामाजिक सम्बल अपेक्षित है। अन्य सभी रीति रिवाज के कार्यकम से आपको अवगत कराया जायेगा।
लोक ग्रंथ रामचरितमानस की निम्न पंक्ति के साथ मेरा शोक संदेश समर्पित हैः- "सुनहू भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेऊ मुनिनाथ। हानि लाभु जीवनु मरनु, जसु अपजसु विधि हाय।।" परन्तु सुदीर्घ वर्षों के स्नेह, प्यार एवं आशीर्वाद से समस्त परिवार शोकाकुल है। परम् पिता परमात्मा से मृतक आत्मा की चिर शान्ति के लिए विनम्रतापूर्वक प्रार्थना निवेदित है। "ओम शान्ति ओम!"
वहीं, धामपुर पब्लिक स्कूल, धामपुर, बिजनौर के प्राचार्य ने स्कूली बच्चों के माता-पिता व अभिभावक को सूचित किया है कि धामपुर पब्लिक स्कूल, धामपुर के संस्थापक डॉ. सत्यपाल सिंह के असामयिक निधन की सूचना देते हुए हमें अत्यंत दुःख हो रहा है। हम शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं। ईश्वर उन्हें इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति और साहस प्रदान करें। दिवंगत आत्मा को शांति मिले। श्रद्धांजलि स्वरूप, 17 जुलाई 2025 को विद्यालय बंद रखा गया। प्रतिदिन की भांति विद्यालय अपने निर्धारित समय पर पुनः खुलेगा।
वहीं, डॉ दिनेश चंद्र सिंह के पुत्र-पुत्रियों ने अपने नाना जी के लिए एक मार्मिक पत्र लिखा है, जो शोक संदेश के साथ संलग्न है। बच्चों ने लिखा है कि वे मेरी प्रेरणा हैं, एक ऐसे इंसान जो बहुत ही दृढ़, धैर्यवान, मेहनती और दयालु हैं। मैं उनके जैसा इंसान से कभी नहीं मिला। मेरे पहले डॉक्टर, मेरे पहले जीव विज्ञान के शिक्षक और मेरे सबसे प्यारे नाना। मुझे उनसे आखिरी बार न मिल पाने का अफसोस है और हमेशा रहेगा। मैंने उन्हें एक अच्छे दिखने वाले, दयालु, कुशल डॉक्टर से एक कमज़ोर, बच्चे जैसे मरीज़ के रूप में बदलते देखा है, जो न जाने कितनी बीमारियों से ग्रस्त हैं, जो मैं अपने सबसे बुरे दुश्मन के लिए भी नहीं चाहूँगा।
सच कहूं तो पिछली बार जब मैंने उनसे वीडियो कॉल पर बात की थी, तो वे इतने कमज़ोर लग रहे थे कि मैं अपने आँसू नहीं रोक पाया। मैंने उन्हें इतना कमज़ोर पहले कभी नहीं देखा था। मुझे इससे नफ़रत थी, मैं उन्हें ऐसे नहीं देख सकता था।
वहीं, बिटिया लिखती हैं कि मैं उन्हें अपने मज़ेदार नाना के रूप में याद रखना चाहती हूँ, जिनके साथ मैं रात भर कार्टून देखती थी, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान वगैरह पर चर्चा करती थी। सबके लिए वो "नानी का घर" था, लेकिन मेरे लिए तो वो "नाना का घर" था। वो हमें बहुत लाड़-प्यार करते थे और हमारी हर छोटी-बड़ी ख्वाहिश पूरी करते थे, चाहे वो रात को गली के कुत्तों के साथ खेलना हो या शाम को हमारे लिए टिक्की के स्टॉल पर रुकना हो। मुझे याद है उनके क्लिनिक में उनके साथ बैठकर हमलोग (बच्ची) उन्हें बनावटी दवाइयाँ देने का परामर्श देते और वो इसे महसूस कर हंसते थे कि बच्ची कितनी बारीकीपूर्वक उन्हें चिकित्सकीय परामर्श दे रही है। यह क्षण हमलोगों के लिए कितना मज़ेदार होता था। इस पर वह बहुत हंसते थे। हर कोई उन्हें प्यार करता था, उनका परिवार, मरीज़, कर्मचारी, हर कोई! उन्होंने 10 साल तक तकलीफ़ सही, वो दर्द और पीड़ा में रहे और अब सब खत्म हो गया है। एक तरफ़ मुझे राहत महसूस हो रही है क्योंकि दर्द आखिरकार खत्म हो गया है, लेकिन इसका मतलब ये भी है कि मैंने अपने नाना को हमेशा के लिए खो दिया।
नाना जी, आपका शरीर तो चला गया, लेकिन आपके मूल्य और आपके लिए मेरा प्यार मेरे दिल में हमेशा के लिए रहेगा। अब आपको अस्पताल में नहीं रहना पड़ेगा, दर्द खत्म हो गया है, जंग खत्म हो गई है। मुझे उम्मीद है कि अब आप वो सारा खाना खा पाएँगे जो आपको पसंद था; दही भल्ला, कढ़ी, मिठाई, आम सब कुछ। मैं चाहती हूँ कि आप शांति से आराम करें, अच्छी नींद लें मेरे नाना, आपको सद्गति मिले। मैं आपसे प्यार करती हूँ मेरे प्यारे नाना, मैं आपको बताना चाहती हूँ कि मैंने हमेशा आपसे प्यार किया है, और करती रहूँगी। मेरे पास अपने फीहुय को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। मैं उनसे दिल से प्यार करती हूँ, ओम शांति ओम।
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