स्वतंत्रता दिवस: राष्ट्रीय प्रेरणा पुरुष नरेंद्र मोदी के '12 वें राष्ट्रीय अभिभाषण' के सकारात्मक मायने



स्वतंत्रता दिवस: राष्ट्रीय प्रेरणा पुरुष नरेंद्र मोदी के '12 वें राष्ट्रीय अभिभाषण' के सकारात्मक मायने
@ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

राष्ट्रीय प्रेरणा पुरुष समझे जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले से लेकर बारहवें मुख्य राष्ट्रीय आह्वान यानी स्वतंत्रता दिवस सम्बोधन को मैं अक्सर गौरपूर्वक सुनता रहा हूँ। उनके मुखारबिंद से निकले प्रत्येक शब्द के, उससे जुड़े उनके चेहरे के पॉजिटिव हाव-भाव से इसके 
सकारात्मक मायने को तलाशता आया हूँ। इससे निकल रहे कतिपय महत्वपूर्ण संदेशों से आपको हर बार अवगत कराते रहा हूँ। इस बार भी मेरी यही कोशिश है, क्योंकि उन्होंने अबतक की सबसे महत्वपूर्ण बात कही है। इसे हमें जानना-समझना चाहिए। यही राष्ट्रीय हित में है और इसी में व्यक्तिगत हित भी समाविष्ट है।

यूँ तो उनसे पहले भी हमने लौह महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी, युवा सपनों के तकनीकी हृदय सम्राट प्रधानमंत्री राजीव गांधी, सबसे 'छलिया' प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, सर्वाधिक विद्वान प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हाराव, प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा, चतुर प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी, सहृदयी प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह आदि के रटे-रटाये भाषण सुने हैं, जिसका अपना महत्व रहा है। लेकिन पिछले 12 वर्षों से जो जनहितकारी व राष्ट्रवादी शाब्दिक और भावपूर्ण प्रेरणा मुझे मिल रही है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। 

ऐसा इसलिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विविधता पूर्ण सम्बोधन में राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय महत्व के सुलगते मुद्दों को भी रेखांकित करते आए हैं। लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि उनके भाषण में आम आदमी से लेकर खास आदमी तक यानी समाज के हर वर्ग की मौलिक चिंताएं व उनके समुचित समाधान की प्रतिबद्धता समाहित होती आई हैं। एक तरफ वह भाजपा और आरएसएस से जुड़े कोर मुद्दों की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ इससे बहके हुए लोगों व उनके समूह को भी सावधान करते हैं। यानी वह राष्ट्रीय अभिभावक की भूमिका में स्पष्ट रूप से सावधान व सतर्क नजर आते हैं। 

यही वजह है कि विगत बारह में राष्ट्रीय चेतना परिवर्तन और व्यक्तिगत-संस्थागत जरूरतों की प्रतिपूर्ति के लिए जो अहम योजनाएं देश में लागू की और करवाई हैं, प्रायः सबकी घोषणाएं इसी लाल किले के प्राचीर से उन्होंने की है। इससे हमारे देश के किसानों, मजदूरों, कारीगरों, युवाओं, महिलाओं, उद्यमियों आदि को भारी लाभ मिला है। विज्ञान व तकनीकी क्षेत्रों में भी उनके निर्णयों से राष्ट्र लाभान्वित हुआ है। पुलिस और सेना को आधुनिक तथा आक्रामक बनाया है। चाहे छात्र हों या विभिन्न पेशेवर समूहों से जुड़े लोग, प्रधानमंत्री के नीतिगत बदलावों से लाभान्वित हुए हैं। 

यदि लोकहितैषी योजनाओं की बात करें तो प्रधानमंत्री जन-धन योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना, प्रधानमंत्री शिक्षा ऋण योजना, प्रधानमंत्री स्टार्टअप-स्टैंडअप योजना, उत्पादन से जुड़ा प्रोत्साहन योजना आदि से लेकर प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना तक सैकड़ों ऐसी योजनाओं को उन्होंने लागू किया, ताकि 2047 तक विकसित भारत का सामूहिक स्वप्न साकार हो सके।

इस प्रकार देखा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अभूतपूर्व पहलों से राष्ट्रीय जनजीवन में जो आशा व उत्साह का निरंतर संचार किया है, वह अद्वितीय, अकल्पनीय, अविस्मरणीय है। तभी तो उनके नेतृत्व में दुनियाभर में भारत व भारतीयों की पूछ परख बढ़ी है। अमेरिका व चीन जैसे प्रतिस्पर्धी देश भी नीतिगत घुटनों पर झुकने को अभिशप्त हुए हैं। ऐसा नहीं है कि चीन, पाकिस्तान, बंगलादेश जैसे दुष्ट पड़ोसी देशों ने खुराफात नहीं की, लेकिन उनकी गलत नीयत को जो करारा जवाब मिला, उससे वे घुटनों पर आ गए। अमेरिका का दोगला चरित्र बेनकाब हुआ और रूस जैसा पारंपरिक मित्र पुनः पुरानी ऊर्जा के साथ भारत की मदद को तैयार हुआ है। 

ऐसा इसलिए संभव हुआ कि जल, थल, नभ व सुदूर अंतरिक्ष में यानी कि असीमित संभावनाओं के हर क्षेत्र के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा की परिस्थितियां मजबूत की हुई हैं। साथ ही, आतंकवाद, नक्सलवाद व संगठित अपराध का निर्ममता पूर्वक दमन किया गया है, जिसकी पराकाष्ठा 'ऑपरेशन सिंदूर' को समझा जा सकता है। राष्ट्रीय सुरक्षा कवच विस्तार योजना संबंधी आज की प्रतिबद्धता से 2035 तक भारत हर दृष्टि से सुरक्षित बना दिया जाएगा। रही सही कसर राष्ट्रीय सुदर्शन योजना पूरी कर देगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि ये दिवस 140 करोड़ संकल्पों का महापर्व है। आजादी का ये पर्व सामूहिक सिद्धियों और गौरव का पर्व है। हृदय उमंग से भरा हुआ है। देश एकता की भावना को मजबूती दे रहा है। 140 करोड़ देशवासी तिरंगे के रंग में रंगे हैं। हर घर तिरंगा है। भारत के हर कोने से, हिमालय हो या रेगिस्तान हो या समुद्र तट हो, हर तरफ एक ही गूंज है- हमारी प्राण से भी प्यारी मातृभूमि का जयगान है।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं आज एक चिंता और चुनौती के संबंध में आगाह करना चाहता हूं। वह यह कि सोची समझी साजिश के तहत देश की डेमोग्रॉफी को बदला जा रहा है। कुछ विदेशी ताकतें क्षुद्र अंतरराष्ट्रीय स्वार्थों की प्रतिपूर्ति के लिए देश के भीतर गद्दार पैदा करके एक नए संकट के बीज बोती जा रही हैं। इसलिए इन्हें हमें पहचानना पड़ेगा। ये घुसपैठिए बुलाते हैं, जो मेरे देश के नौजवानों की रोजी रोटी छीन रहे हैं। ये घुसपैठिए मेरे देश की बहन बेटियों को निशाना बना रहे हैं, इसलिए अब ये बर्दाश्त नहीं होगा। 

पीएम मोदी ने घुसपैठियों के बारे में देशवासियों को आगाह करते हुए कहा कि ये घुसपैठिये भोले-भाले आदिवासियों को भ्रमित करके उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। इसलिए ये देश सहन नहीं करेगा। क्योंकि जब डेमोग्रॉफी परिवर्तन होता है, खासकर सीमा के क्षेत्र में ये होता है तो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संकट पैदा होता है। चूंकि यह सामाजिक तनाव के बीच बो देता है, इसलिए कोई देश अपना देश घुसपैठियों के हवाले नहीं कर सकता है। 

पीएम ने साफ लहजे में कहा कि हम भारत को घुसपैठियों के हवाले कैसे कर सकते हैं। चूंकि हमारे पूर्वजों ने त्याग और बलिदान से आजादी पाई है, इसलिए उन महापुरुषों के लिए सच्ची श्रद्धा ये होगी कि हम घुसपैठियों को स्वीकार नहीं करें। यही उनको सच्ची श्रद्दांजलि होगी। इसलिए मैंने एक हाई पावर डेमोग्राफी कमिशन शुरू करने का निर्णय किया है, जिसके द्वारा इस भीषण संकट को निपटाने के लिए तय समय में कार्य किया जाएगा। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने नक्सलवाद की जड़ों पर हमला किया,जिसके चलते रेड कॉरडोर अब ग्रीन कॉरिडोर बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि कभी देश के 125 जिलों में नक्सलवाद अपनी जड़े जमा चुका था। माओवाद की चंगुल में हमारे जनजातीय क्षेत्र के जनजातीय नौजवान फंसे हुए थे। लेकिन आज वो कम होते होते 20 जिलों तक सिमटा दिए गए हैं। जल्द ही उन्हें भी खत्म करेंगे। इसप्रकार से हमने उन जनजातीय समाज की सबसे बड़ी सेवा की है। एक जमाना था जब बस्तर को याद करते ही माओवाद, नक्सलवाद, बम बंदूक की आवाज सुनाई देती थी, लेकिन उसी बस्तर में माओवाद नक्सल से मुक्त होने के बाद स्थानीय नौजवान ओलंपिक खेलते हैं, हजारों नौजवान भारत माता की जय बोलकर खेल के मैदान में उतरते हैं। इस प्रकार जो क्षेत्र कभी रेड कॉरडोर के रूप में जाने जाते थे, वो आज विकास की ग्रीन कॉरिडोर बन रहे हैं। भारत के जिन क्षेत्र को लाल रंग से रंग दिया गया था हमने वहां संविधान, कानून और विकास का तिरंगा फहरा दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस को दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ बताते हुए कहा कि, आज गर्व के साथ मैं इस बात का जिक्र करना चाहता हूं कि आज से 100 साल पहले एक संगठन का जन्म हुआ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जो 100 साल की राष्ट्र की सेवा का एक बहुत ही गौरवपूर्ण पृष्ट है। व्यक्तित्व निर्माता से राष्ट्र निर्माण के संकल्प को लेकर गत 100 साल से मां भारती के कल्याण का लक्ष्य लेकर जिनने मातृभूमि के लिए अपना जीवन समर्पित किया, उनके सेवा, समर्पण, संगठन प्रेम और अप्रतिम अनुशासन की एक अमिट पहचान रही है। इसलिए सभी महान स्वयंसेवकों को नमन है, अभिनंदन है। ऐसा आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है।

इस मौके पर उन्होंने पूर्व की तरह ही कई महत्वपूर्ण योजनाओं का एलान किया और आत्मनिर्भर भारत पर जोर देते हुए कहा कि सरकार किसान विरोधी नीतियों को बर्दाश्त नहीं करेगी। हम किसानों के लिए दीवार बनकर खड़े रहेंगे। मैं अपने किसानों को नहीं छोड़ूंगा। किसान हमारी अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान देते हैं। चूंकि पीएम मोदी ने भारत को कई वस्तुओं का शीर्ष उत्पादक बनाया है, इसलिए उन्होंने गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के साथ वैश्विक बाजारों में भारत की क्षमता साबित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अब भारत को रोका नहीं जा सकता और समय आ गया है कि देश गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के साथ वैश्विक बाजारों में अपनी क्षमता साबित करे। उन्होंने कहा कि यह इतिहास रचने का समय है। हमें विश्व बाजार पर राज करना है। हमें उत्पादन लागत कम करनी है। 

कहना न होगा कि पीएम मोदी का ये संदेश ऐसे समय पर आया है, जब ट्रंप के टैरिफ के एलान के बाद भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव देखने को मिल रहा है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने रणनीतिक रूप से ऑपरेशन सिंदूर, आरएसएस, टेक्नोलॉजी, राष्ट्रीय सुरक्षा कवच आदि पर खुलकर अपने अग्रगामी विचार रखे, उन सबसे हम सबको नई प्रेरणा मिली और अपनी भव्य विरासत पर गौरव का पुनः एहसास हुआ। उन्होंने ठीक ही कहा कि हम स्वदेशी मजबूरी में नहीं, मजबूती के साथ उपयोग करेंगे, मजबूती के लिए उपयोग करेंगे और जरूरत पड़ी तो औरों को मजबूर करने के लिए उपयोग करेंगे। यह हमारी ताकत होनी चाहिए, हमारा मंत्र होना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कहा कि राष्ट्रीय जनसेवा कार्य में प्रधानसेवक के रूप में मेरी कोशिश रही है कि सरकार फाइलों में नहीं होनी चाहिए, बल्कि वह देश की नागरिकों की लाइफ में होनी चाहिए। दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो वंचित हो उनके लिए सकारात्मक रूप से सरकारें प्रो ऐक्टिव हो, सरकारें प्रो पीपुल हो, उस दिशा में हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं, ताकि समाज के हर जरूरी व्यक्ति के लिए सरकार की योजनाएं मिले। सामाजिक न्याय का अगर कोई सच्चा हकदार है तो उसे हक की चीजें मिले तो उसके लिए हम काम कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि आज 15 अगस्त के दिन हम अपने देश के युवाओं के लिए एक लाख करोड़ की योजना शुरू कर रहे हैं। आज से 'प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना' लागू कर दी गई है। इसके तहत निजी क्षेत्र में पहली नौकरी पाने वाले लड़के और लड़कियों को 15 हजार रुपये सरकार की तरफ से दिए जाएंगे। इससे 3.5 करोड़ युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि हमें नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म के लिए टास्क फोर्स बनाने का फैसला किया है। इस दिवाली में आपकी डबल दिवाली करने वाला हूं। बड़ा तोहफा देशवासियों को मिलने वाला है। समय की मांग है कि जीएसटी की दरों की समीक्षा हो। हम नई जेनरेशन का जीएसटी रिफॉर्म लेकर आ रहे हैं। सामान्य लोगों के लिए टैक्स कम होगा। जीएसटी की दरें कम होंगी।

पीएम मोदी ने कहा कि, भारत का मंत्र लेकर जीने वालों ने हमें स्वतंत्र भारत दिया, इसलिए आज 140 करोड़ देशवासियों का एक ही मंत्र होना चाहिए, समृद्ध भारत। अगर कोटि कोटि लोगों के बलिदान से स्वतंत्र भारत हो सकता है तो कोटि-कोटि लोगों के संकल्प से आत्मनिर्भर बनने से, स्वदेशी का मंत्र अनवरत रूप से जापने से समृद्ध भारत भी बन सकता है। वो पीढ़ी स्वतंत्र भारत के लिए खप गई थी और ये पीढ़ी समृद्ध भारत के लिए कदम उठाए यही समय की मांग है। इसलिए मैं देश के सभी इंफ्लुएंसर को कहना चाहता हूं वो देश को आगे बढ़ाने में मदद करें। क्योंकि ये आगे बढ़ने का अवसर है, बड़े सपने देखने का अवसर है, जब सरकार आपके साथ है, जब मैं स्वयं आपके साथ हूं तब नया इतिहास बना सकते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने सभी राजनेताओं और राजनीतिक दलों को आह्वान करते हुए कहा कि, आइए ये किसी राजनीतिक दल का एजेंडा नहीं है, भारत हम सबका है और हम मिलकर वोकल फोर लोकल को हर नगारिक के जीवन का मंत्र बनाए। भारत में बनी हुई, भारत के नागरिकों के पसीने से बनी हुई, वो चीजें जिसमें भारत की मिट्टी की महक हो और जो भारत के आत्मनिर्भर के संकल्प को ताकत देता हो, हम उसी को खरीदेंगे, हम उसी का उपयोग करेंगे। यदि ये हमारी सामूहिक संकल्प हो तो हम देखते ही देखते दुनिया बदल देंगे। दोस्तों, छोटे कारोबारी से भी आग्रह करता हूं कि आपकी भी जिम्मेदारी हो कि शुद्ध घी की दुकान हो, देश में ऐसे कारोबारी आगे आएं जिसकी दुकान पर लिखा हो हम स्वदेशी माल, हम स्वदेशी वस्तु मजबूरी में नहीं, मजबूती के साथ उपयोग करेंगे, मजबूती के लिए उपयोग करेंगे और जरूरत पड़ी तो हम वैश्विक ताकतों को मजबूर करने के लिए भी उपयोग करेंगे। ये हमारी ताकत होना चाहिए, ये हमारा मंत्र होना चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि एक राष्ट्र के लिए आत्मसम्नान की सबसे बड़ी कसौटी आज भी उसकी आत्मनिर्भरता ही है। विकसित भारत का आधार भी है आत्मनिर्भर भारत। जो दूसरों पर ज्यादा निर्भर रहता है उसकी आजादी पर उतना ही बड़ा प्रश्नचिह्न लग जाता है और दुर्भाग्य तो तब बन जाता है जब निर्भरता की आदत लग जाए, हम कब आत्मनिर्भरता छोड़ रहे हैं और कब किसी के निर्भर हो जाते हैं, ये आदत खतरे से खाली नहीं हैं, इसलिए प्रतिपल जागरूक रहना होता है। आत्मनिर्भरता का नाता सिर्फ आयात और निर्यात रुपये, पैसे, पाउंड, डॉलर तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भरता के नाता हमारे सामर्थ्य से जुड़ा रहता है. इसलिए हमारे सामर्थ्य को बचाए रखने और बनाए रखने और बढ़ाए रखने के लिए आत्मनिर्भर होना बहुत अनिवार्य है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल की घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि हमने ऑपरेशन सिंदूर में देखा है कि मेड इन इंडिया का कमाल क्या चीज है? दुश्मन को पता तक नहीं चला कि कौन सा सामर्थ्य है जो पलक भर में उनको नष्ट कर रहा है। सोचिए अगर हम आत्मनिर्भर नहीं होते तो क्या ऑपरेशन सिंदूर जैसा बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला कर पाते। पता नहीं कौन सामान देगा, इसी चिंता में रहते लेकिन मेड इन इंडिया के कारण बिना चिंता बिना रुकावट बिना हिचकिचाहट हमारी सेना अपना पराक्रम करती रही। ये पिछले 10 साल से लगातार डिफेंस के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का हम मिशन लेकर चले हैं, उसका नतीजा आ नजर आ रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि 22 अप्रैल की तारीख के बाद हमने अपनी सेना को खुली छूट दे दी कि रणनीति वो तय करें, लक्ष्य वो तय करें, समय वो चुने और हमारी सेना ने वो करके दिखाया जो कई दशकों तक कभी हुआ नहीं था। हमने सैकड़ों किलोमीटर दुश्मन की धरती पर घुसकर आतंकियों को मिट्टी में मिला दिया। आतंक की इमारतों को खंडहर बना दिया। पाकिस्तान की नींद अभी भी उड़ी हुई है। पाकिस्तान में हुई तबाही इतनी बड़ी है कि रोज नए नए खुलासे हो रहे हैं, नई नई जानकारियां आ रही हैं। पीएम मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा कि हम न्यूक्लियर ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेंगे। पाकिस्तान सिंधु नदी के पानी को हमेशा के लिए भूल जाए। अब भी  यदि उसकी फितरत नहीं बदली तो फिर मुंहतोड़ जवाब देंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय संकल्प को दोहराते हुए कहा कि अब भारत ने तय कर लिया है कि खून और पानी एक साथ नहीं बहेगा। अब देशवासियों को भली-भांति पता चला है कि सिंधु का समझौता कितना अन्यायपूर्ण और कितना एकतरफा है? भारत की नदियों से निकलती पानी दुश्मनों के खेत को सींच रहा है, जबकि  मेरे देश के किसान और मेरे देश की धरती पानी के बिना प्यासी है। ये ऐसा समझौता था कि जिसने पिछले 7 दशक से मेरे देश के किसानों का अकल्पनीय नुकसान किया है। हिंदुस्तान के हक का जो पानी है, उस पर अधिकार सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान का है, हिंदुस्तान के किसानों का है। भारत निश्चित रूप में सिंधु समझौते के उस स्वरूप को बदलेगा, जिसको हमारे किसानों ने दशकों तक सहा-झेला-भोगा है। अब उस स्वरूप को आगे नहीं सहा जाएगा। इसलिए किसान हित में राष्ट्रहित में ये समझौता हमें मंजूर नहीं है।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि हमारा देश कई दशकों को आतंक को झेलता आया है, देश को सीने को छलनी कर दिया गया, इसलिए अब हमने एक न्यू नॉर्मल स्थापित कर दिया है कि आतंक को और आतंकी को पालने पोसने वाले को तथा आतंकियों को ताकत देने वालों को अब हम अलग-अलग नहीं मानेंगे, क्योंकि वो मानवता के समान दुश्मन है, उनके बीच कोई फर्क नहीं है। इसलिए हमलोग उनका सफाया करेंगे, चाहे वो जहां कहीं भी रहें। भारत ने अब तय कर लिया है कि न्यूक्लियर की धमकियों को हम सहने वाले नहीं है। न्यूक्लियर ब्लैकमेल लंबे अरसे से चलाया, पर अब ब्लैकमेल नहीं सहा जाएगा।

पीएम मोदी ने कहा कि सेमीकंडक्टर को लेकर फाइलें शुरू हुईं। 50-50 साल पहले फैक्टरी का विचार चालू हुआ, लेकिन आप जानकर हैरान हो जाएंगे, कि आज सेमीकंडक्टर जो पूरी दुनिया का ताकत बन गया है, 50-50 साल पहले वो विचार वो फाइलें आगे बढ़ीं पर लटक गई अटक गई। अर्थात सेमीकंडक्टर के विचार की ही भ्रूण हत्या हो गई। जबकि हमारे बाद कई देश सेमीकंडक्टर में आज महारत हासिल करके दुनिया में अपनी ताकत दिखा रहे हैं।

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि, स्पेस सेक्टर का कमाल तो हर देशवासी देख रहा है और हमारे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन से लौट चुके हैं। आने वाले कुछ दिनों में वो भारत भी आ रहे हैं। अब हम स्पेस में अपने दम पर गगनयान की तैयारी कर रहे हैं। हम अपने बलबूते पर हम अपना स्पेस स्टेशन बनाने पर काम कर रहे हैं। पिछले दिनों स्पेस में जो रिफॉर्म किए गए हैं, उसके चलते हमारे देश में 300 से ज्यादा स्टार्टअप काम कर रहे हैं। इसमें हजारों नौजवान पूरे सामर्थ्य के साथ जुटे हैं। ये हमारे देश के नौजवानों के प्रति विश्वास है। 140 करोड़ भारतवासी 2047 में जब आजादी के 100 साल में प्रवेश कर रहे होंगे, भारत के संकल्प को परिपूर्ण करने के लिए पूरी ताकत से जुटे हुए हैं। इस संकल्प की पूर्ति के लिए भारत आज हर सेक्टर में आधुनिक इको सिस्टम तैयार कर रहा है। इसलिए मैंने युवा वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, युवाओं को आह्वान किया है कि क्या हम अपना मेड इन इंडिया फाइटर जेट के लिए जेट इंजन तैयार नहीं कर सकते, क्योंकि अब यह हमारा भी होना चाहिए। क्या समय की मांग नहीं है कि रिसर्च और डिवेलपमेंट में और ताकत लगाएं। हमारे अपने पेटेंट हो, सस्ती से सस्ती और सबसे कारगर नई दवाइयों की खोज हो। चूंकि देश का भाग्य बदलना है, इसलिए आपका सहयोग चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लगातार 12वीं बार लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया। इस बार प्रधानमंत्री का यह संबोधन ऐसे समय पर हुआ, जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को कुछ महीने ही हुए हैं और विपक्षी दल चुनाव में कथित गड़बड़ियों को लेकर एकजुट होकर उनकी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। इसलिए मोदी ने इस अवसर पर राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और अपने कार्यकाल में कल्याणकारी मॉडल के विस्तार पर भारत के अडिग रुख को जो रेखांकित किया, उससे लोगों को प्रेरणा मिली है। साथ ही उन्होंने व्यापार पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत के प्रति प्रतिकूल रुख से उत्पन्न आर्थिक और विदेशी संबंधों की अनिश्चितता के माहौल पर भी दो टूक बातें कहीं और स्पष्ट नीतिगत निर्णयों का आह्वान किया। राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रीय समृद्धि की जरूरत बताते हुए आसन्न वैश्विक चुनौती, आर्थिक चुनौती और संस्थागत व्यक्तिगत चुनौती से कड़ाई पूर्वक निपटकर राष्ट्र की रक्षा करते रहने के प्रति भी प्रतिबद्धता जताई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर कहा कि मैं सभी को देश की स्वतंत्रता की बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। मेरी कामना है कि यह सुअवसर सभी देशवासियों के जीवन में नया जोश और नई स्फूर्ति लेकर आए, जिससे विकसित भारत के निर्माण को नई गति मिले। उन्होंने कहा कि, हम जानते हैं वर्षों संघर्ष करने के बाद, लाखों बलिदान देने के बाद अपना देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ था और स्वतंत्रता के बाद से लगातार अब तक देश ने प्रगति की है और अब आगे भी जितनी प्रगति पहले हुई है उससे दोगुनी और चौगुनी प्रगति लगातार आगे होने वाली है। हमने धारा 370 की दीवार गिराकर हमने एक देश एक संविधान के मंत्र को साकार किया। हमने ऐसा करके श्याम प्रसाद मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि भी दी। देश के 100 वर्ष जब स्वतंत्रता के हो जाएंगे 2047 तक विकसित भारत बनाने का जो संकल्प हमारा है उसको हम पूरा करेंगे ऐसी मेरी सबको शुभकामना है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि प्रकृति हमारी परीक्षा ले रही है। प्राकृतिक आपदाएं हम झेल रहे हैं। पीड़ितों के साथ हमारी संवेदनाएं हैं। राज्य और केंद्र सरकार बचाव और राहत कार्य में जुटे हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वाकई वह अद्भुत क्षण होता है, जब स्वतंत्रता दिवस पर देश के 140 करोड़ देशवासी तिरंगे के रंग में रंगे होते हैं। भारत के हर कोने से चाहे रेगिस्तान हो या हिमालय की बर्फीली चोटियां, समुंदर के तट हो या घनी आबादी वाले क्षेत्र, हर तरफ से एक ही गूंज है, एक ही जयकारा है- भारत माता की जय। विश्व विजयी तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा।यह हमारी प्राण से भी प्यारी मातृभूमि का जयगान है। 1947 में अनंत संभावनाओं के साथ,कोटि-कोटि भुजाओं के सामर्थ्य के साथ हमारा देश आजाद हुआ। देश की आकांक्षाएं उड़ानें भर रही थीं, लेकिन चुनौतियां कहीं ज्यादा थीं। संविधान सभा के सदस्यों ने एक अहम दायित्व निभाया। भारत का संविधान 75 वर्ष से हमें मार्ग दिखा रहा है। भारत के संविधान निर्माता अनेक विद्द महापुरुष डॉ. राजेंद्र प्रसाद, बाबा साहेब आंबेडकर, पंडित नेहरू, वल्लभ भाई पटेल, राधाकृष्णनन और नारी शक्ति का योगदान कम नहीं था। इसलिए आज पुनः लाल किले की प्राचीर से देश का मार्गदर्शन करने वाले देश को दिशा देने वाले संविधान निर्माताओं को नमन करता हूं।

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