सरल और सुलझे हुए व्यक्तित्व के स्वामी हैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

सरल और सुलझे हुए व्यक्तित्व के स्वामी हैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

# डॉ दिनेश चंद्र सिंह, आईएएस

"जे न मित्र दु:ख होहिं दुखारी, तिन्हहि विलोकत पातक भारी। निज दु:ख गिरि सम रज करि जाना, मित्रक दु:ख रज मेरु समाना।।" रामचरितमानस की उपरोक्त पंक्तियां आज मुझे उस समय का अमन दिलाती हैं कि जब बार-बार योग्य, धर्मशील, ज्ञानशील, विवेकशील, विनयशील, राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता के प्रबल व कट्टर समर्थक अनुयायी तथा अपनी भारत माता के यशस्वी पुत्र पुष्कर सिंह धामी को संवैधानिक दायरे में कार्य करने का अवसर मंत्रिमंडल में स्थान प्राप्त न होने के कारण नहीं मिल पा रहा था। 

परंतु धैर्य एवं भगवान को समर्पित उत्कृष्ट कार्य के कारण  विवेक, संयम और विनयशीलता के अद्भुत गुणों से ओतप्रोत श्री धामी को भारतीय जनता पार्टी ने जातिगत, परिवारवाद एवं तुष्टिकरण की परंपरागत रूप से चली आ रही राजनीति से ऊपर उठकर उत्तराखंड के विकास के लिए एक योग्य बहुमुखी प्रतिभा एवं चुंबकीय व्यक्तित्व के धनी युवा हाथों पर भरोसा कर श्री धामी को प्रदेश का नेतृत्व सौंपा, जिससे मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई। 

प्रसन्नता का विषय एवं कारण और कोई नहीं अपितु विगत 15-20 वर्षों के निरंतर संवाद एवं मधुर संबंध, जिनके कारण मैं उन्हें अपना हितैषी, शुभेच्छु एवं मित्र मानता हूं और ऐसा मान मुझे उनसे निरंतर वार्तालाप से एवं समय-समय पर स्वामी यतिश्वरानंद एवं संजय गुप्ता, मंत्री व  विधायक के साथ एवं सान्निध्य से समय-समय पर लगभग प्रत्येक वर्ष मुलाकात एवं दूरभाष पर प्रत्येक राष्ट्रीय पर्व व भारतीय संस्कृति की गरिमा एवं गौरव तथा वैभवशाली अतीत की परंपरा को धार्मिक पर्वों के माध्यम से जनमानस में सुख-शांति, वैभव, विजय एवं अराजकता पर धर्म एवं सत्य की जीत के राष्ट्रीय महत्व के पर्व दशहरा, दीपावली, होली आदि पर विशेष रूप से मानवीय संवेदनाओं, शुभकामनाओं व बधाई संदेशों एवं दूरभाष पर वार्ता के क्रम में निरंतर जुड़े रहने के कारण आपका मेरे प्रति व्यापक मानवीय संवेदनात्मक भाव थे तथा खुशी के पलों में सदैव उनके द्वारा बधाई संदेश भेजे जाते थे एवं वार्तालाप की जाती थी। 

इसी क्रम में आपके मुख्यमंत्री पद प्राप्त करने से मात्र 5 दिन पूर्व मेरी पुष्कर सिंह धामी से गत 6 जुलाई को प्रातः लगभग 2 मिनट 29 सेकंड तक वार्ता हुई और वार्ता का विषय प्रशिक्षु अधिकारी डीजीएस सुभाष सिंह धामी से आपकी वार्ता कराकर तब भविष्य के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से परिचय का भाव मेरे मन संवाद के दौरान निकला। यह संवाद मेरा श्री धामी से हुआ एवं जिस दिन मुख्यमंत्री पद की घोषणा होनी थी, मैंने अपने इष्ट हनुमान जी से प्रार्थना कर यह प्रश्न उठाया कि कौन बनेगा उत्तराखंड का मुख्यमंत्री, जो जनकल्याण एवं उत्तराखंड के विकास का सजग प्रहरी बने। उस समय श्री हनुमान जी एवं बाबा सारंग सिंह "नंदी जी" के आशीर्वाद से पुष्कर सिंह धामी के नाम की मोहर श्री श्री हनुमान जी के द्वारा आशीर्वाद स्वरुप प्रदान की गई। 

यह कोई अतिशयोक्ति नहीं अपितु मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी की कृपा एवं आशीर्वाद तथा जनता के प्रति उत्कृष्ट कार्य करने की अद्भुत क्षमता का परिणाम है। जिससे राष्ट्र की प्रमुख लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना के प्रति प्रतिबद्ध राजनैतिक दल बीजेपी के युवा नेता के प्रति विश्वास को गति देने की सोच ने एक सामान्य परिवार के पुत्र को प्रदेश के सर्वोच्च पद पर कार्य करने का अवसर प्रदान किया, वह भी बधाई एवं प्रशंसा के पात्र हैं।

इसी मनोभाव एवं पुराने परिचय की सुदीर्घ यात्रा से प्रभावित होकर मन हुआ कि आज एक बार इस खुशी के अवसर पर फोन से मुख्यमंत्री श्री धामी को बधाई दी जाए, क्योंकि मन में भाव था- "करनन पान सोवहिं दिनु राती, सुधि नहीं तब सिर पर आराती। राजनीति बिनु धन बिनु धर्मा, हरिहिं समय बिनु सतकर्मा।। विद्या बिनु विवेक उपजाए, श्रम फल पद किये अरु पाई। संग ते जती कुमंत्र ते राजा। मान ते ज्ञान पान ते राजा।।"

नीति के बिना राजा और धर्म के बिना धन प्राप्त करने से, भगवान को समर्पण किए बिना उत्तम कार्य करने से एवं ज्ञान उत्पन्न किए बिना विद्या पढ़ने से परिणाम में श्रम ही हाथ लगता है। विषयों के साथ संन्यासी, बुरी सलाह से राजा, मान से ज्ञान, मदिरापान से लज्जा की समाप्ति हो जाती है। मुझे अनुभव था कि श्री धामी ज्ञानवान एवं उनका कार्य भगवान एवं जनता को समर्पित रहता है और उत्कृष्ट परिवेश में विद्या का वर्णन किया है तथा अन्य विषयों से आसक्त नहीं है। इसलिए मैंने मुख्यमंत्री के प्रदेश के सबसे बड़े सर्वोच्च पद पर आसीन योग्य पुरुष से वार्ता करने का दुविधापूर्ण मनोस्थिति में सीधे दूरभाष पर बातें करने का विचार किया।

अब देखें क्या हुआ, उसको अभिव्यक्त करने का प्रयास मैंने निम्नवत किया है। क्योंकि मेरे मन में पूर्व से ही श्री धामी  के व्यक्तित्व के उत्कृष्ट गुणों का ज्ञान था। जिसका उदाहरण मैं राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी की इन पंक्तियों के माध्यम से करना चाहूंगा- "जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं। वह हृदय नहीं पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।। होगा उसका उद्धार नहीं, जो भरा नहीं है भावों से। बहती जिसमें रसधार नहीं। वह हृदय नहीं पत्थर है।" 

श्री धामी भाव प्रणव व्यक्ति हैं तथा स्वदेश व राष्ट्रप्रेम की संस्कृति में शिक्षा व राजनीति का पाठ पढ़ाते हैं। वे सदैव  भारत माता के चरणों को नमन कर प्रदेश एवं स्वदेश के नागरिकों के कल्याण के प्रति संकल्पबद्ध रहते हैं। इसीलिए वह सबसे प्रिय हैं। वे सबसे मधुरतापूर्वक बातचीत करने वाले और पद एवं अहंकार का परित्याग कर जनमानस के कल्याण के लिए संकल्पबद्ध रहने वाले व्यक्ति हैं। ऐसा मेरे मन एवं हृदय को विश्वास है, इसलिए गत 6 जुलाई को मैंने सीधे उनके दूरभाष पर वार्ता करने का निर्णय लिया।

# "होनहार बिरवान के होत चिकने पात" 

आज अभी मन नहीं है कि कुछ लिखूं, परंतु सुबह अनायास मन किया कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री धामी जो युवकों की धड़कन हैं तथा अपने मधुर व्यवहार एवं आकर्षक व्यक्तित्व के कारण जन-जन के प्रिय हैं, गत लगभग 15 वर्षों से अपनी भी आत्मीयता पूर्ण परिचय होने के कारण मन किया कि उनको बधाई दी जाए। फिर मैंने उनके व्यक्तिगत नंबर पर फोन किया। उनका यह नंबर मेरे पास उस समय का है जब वह विद्यार्थी परिषद की सक्रिय राजनीति में थे और छात्र-छात्राओं की आवाज को बुलंदी एवं अजस्र ऊर्जा के साथ शंखनाद पूर्ण ढंग से जनहित में उठाते थे। 

मेरे मन में आशंका थी कि अभी 2 दिन हुए हैं, मुख्यमंत्री   पुष्कर सिंह धामी को बधाई देने के लिए क्यों ना फोन किया जाए, उनके आत्मीयता पूर्ण मधुर व्यवहार की पूर्व की यात्रा को दृष्टिगत रखते हुए। हालांकि, मन में दुविधा थी कि कहीं लोकतंत्र के राज्यस्तरीय सर्वोच्च विधायिका पद मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने के पश्चात उनकी सुरक्षा एवं अन्य कारणों से निजी नंबर पर बात न हो सके। परंतु मेरे हृदय में यह तय था कि धरातल से जुड़े भारत माता के धरती पुत्र श्री धामी जी सच्चे राजनीतिज्ञ हैं। इसीलिए उनमें परिवर्तन नहीं आएगा। और इसी कारण 7:21 पीएम पर मैंने उनको सीधे व्यक्तिगत नंबर पर फोन किया। क्षण भर की प्रतीक्षा के बिना प्रथम घंटी पर ही आपके द्वारा स्वयं फोन उठाया गया और कुशलक्षेम की बधाई की औपचारिकता के बाद उसी मनोभाव से आपने वार्ता की। 

जैसे भारत माता के एक कुशल, योग्य एवं अहंकार पर विजय प्राप्त करने वाले, भारतीय लोकतंत्र की शान "मतदाताओं की आन-बान" का प्रतीक, भारत की रक्षा के प्रति संकल्पबद्ध, राष्ट्र प्रेमी, राष्ट्र भक्त, विचारवान, दूरदर्शी नागरिक मुख्यमंत्री पद की गरिमा को धारण किए, परंतु अहंकार से दूर सबके प्रति सेवा का भाव लिए कोई दूरदर्शी राष्ट्रनेता व्यवहार करता है।

मैं अभिभूत हूं कि भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होने के कारण अनेक राजनीतिज्ञ एवं कुशल प्रशासनिक अधिकारियों से मिला। परंतु आपके सहृदयी व्यवहार से कायल हुआ। पुष्कर सिंह धामी, जो अभी देश के शीर्ष संवेदनशील नागरिकों में एक हैं एवं अहंकार से दूर हैं, उन्हें ऊर्जावान, ऐश्वर्यवान, यशस्वी राजनीतिज्ञों की उस श्रृंखला में मैं स्थान देता हूं, जो भविष्य की उत्कृष्ट उपलब्धियों को प्राप्त कर जनकल्याण के नए आयाम को छुएंगे।

(लेखक उत्तरप्रदेश के बहराइच जनपद के जिलाधिकारी हैं।)

# लेखक परिचय:- 

डॉ दिनेश चंद्र सिंह, आईएएस
मोबाइल नम्बर:- +91-9026774771.
+91-9412244429.
ईमेल:- dineshchandra1997@gmail.com

टिप्पणियाँ

  1. आदरणीय हमारे सम्मानित जिलाधिकारी महोदय जी द्वारा बहुत ही सुंदर लेख

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  2. हमें गर्व है अपने जनपद बहराइच के आदरणीय जिलाधिकारी महोदय पर 🙏

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  3. आदरणीय आप का व्यक्तित्व भी आदरणीय धामी जी के समकक्ष ही है। आप भी हमेशा बिना किसी स्वार्थ के लोगो की सेवा मे तत्पर रहते हुए धर्म के मार्ग की तथा राष्ट्र की सेवा मे रहते है तो यह तो सर्वविदित है । तो यह तो वेदों मे भी उल्लेख है कि आपको अपने ही तरह के लोगों का जीवन मे सानिध्य प्राप्त होता है प्रभु श्रीराम जी से प्रार्थना है कि आप दोनो के भाव एक दूसरे के प्रति आजीवन ऐसे ही रहे ।
    धन्यवाद
    अमन राज चौहान

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