पीएम मोदी द्वारा आरएसएस की तारीफ से उभरे आलोचनात्मक स्वरों के सियासी मायने समझिए
पीएम मोदी द्वारा आरएसएस की तारीफ किए जाने के बाद उभरे विपक्षी आलोचनात्मक स्वरों के सियासी मायने समझिए @ कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक देश-दुनिया की सबसे बड़ी अपंजीकृत गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तारीफ जब दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जो और सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अगुवा पार्टी है, के प्रखर नेता, ओजस्वी वक्ता, पूर्व संघ प्रचारक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से की, तो वह कोई साधारण क्षण नहीं था, बल्कि आरएसएस की स्थापना के शतक वर्ष पर 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह को सम्बोधित कर रहे प्रधानमंत्री के हृदय से निकला उद्गार है। वहीं, सियासी रूप से मूढ़ और अकर्मण्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और उसकी सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) ने जिस तरह से प्रधानमंत्री के आरएसएस सम्बन्धी विचार की खिल्ली उड़ाई, उससे जनसेवा, समाजसेवा व राष्ट्रसेवा के प्रति उनका उपहास बोध उजागर हो गया। ये वही लोग हैं जिन्होंने दलित-पिछड़ों-अल्पसंख्यकों के शोषण के नाम पर सत्ता हथियाकर स...